कुण्डली/छंद

रूपमाला छंद

बचपने की ढल गयी है ,खूबसूरत शाम ।
करवटें बदली  उमर ने ,तज सुखद आराम ।
खो गए वो दिन पुराने ,खो गए सब खेल ।
एक दिन लड़ना झगड़ना ,दूसरे दिन मेल ।
मीत वो सारे रसीले ,इक हसीं अहसास ।
माँ सुनाती लोरियां  जो थी बहुत वो खास।
शोर कक्षा में मचाते, हाल  कर बेहाल ।
मेज को तबला बनाकर थे मिलाते ताल  ।
बारिशों में नाव कागज की चलाते खूब ।
घूमना  वह पाँव नंगे  नित मुलायम दूब
हाय!तन्हाई सताती बचपना मासूम ।
ढूंढती हूँ मिल गया तो गोद भर लूं चूम ।
— रीना गोयल 

रीना गोयल

माता पिता -- श्रीओम प्रकाश बंसल ,श्रीमति सरोज बंसल पति -- श्री प्रदीप गोयल .... सफल व्यवसायी जन्म स्थान - सहारनपुर .....यू.पी. शिक्षा- बी .ऐ. आई .टी .आई. कटिंग &टेलरिंग निवास स्थान यमुनानगर (हरियाणा) रुचि-- विविध पुस्तकें पढने में रुचि,संगीत सुनना,गुनगुनाना, गज़ल पढना एंव लिखना पति व परिवार से सन्तुष्ट सरल ह्रदय ...आत्म निर्भर