भाषा-साहित्य

पूर्वोत्तर राज्यों में भाषिक प्रावधान और हिंदी का परिदृश्य

भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र बांग्लादेश, भूटान, चीन, म्यांमार और तिब्बत – पांच देशों की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर अवस्थित है । असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम- इन आठ राज्यों का समूह पूर्वोत्तर भौगोलिक, पौराणिक, ऐतिहासिक एवं सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है । इस क्षेत्र में 400 समुदायों के लोग रहते हैं जो लगभग 220 भाषाएं बोलते हैं । पूर्वोत्तर की बहुभाषिकता यहाँ की विशेषता है I कुछ जनजातियों की अनेक उपजातियां हैं और सबकी अलग – अलग भाषाएँ/ बोलियाँ हैं, तो दूसरी ओर एक ही जनजाति के लोग चार गाँवों में रहते हैं और चारों गाँवों के भाषा रूपों में भी पर्याप्त भिन्नता है I पूर्वोत्तर की अधिकांश भाषाएँ लिपिविहीन हैं जिसके कारण इन भाषाओँ के लोकसाहित्य का अभी तक सम्पूर्णता में संकलन – प्रकाशन नहीं हो सका है I
असम – असमिया और अंग्रेजी असम की राजभाषाएँ हैं I बराक घाटी में स्थित तीन जिलों की राजभाषा बंगला है जबकि कार्बी आंगलोंग के स्वायत्त जिलों तथा नार्थ कछार के जिलों की राजभाषा अंग्रेजी है I कोकराझार और अन्य बोडो बहुल जिलों में बोड़ो भाषा को सहभाषा के रूप में मान्यता दी गई है I शिक्षा के क्षेत्र में त्रिभाषा सूत्र लागू है जिसके अंतर्गत असमिया के अतिरिक्त बंगला, हिंदी, बोड़ो तथा अंग्रेजी को भी सहयोगी भाषा के रूप में मान्यता दी गई है I कक्षा एक से दसवीं तक की शिक्षा सामान्यतः असमिया माध्यम से दी जाती है I हिंदी कक्षा 6 से 10 तक पढाई जाती है I असम राजभाषा नियम 1970 के अनुसार जनता से प्राप्त अभ्यावेदनों, याचिकाओं और पत्रों के उत्तर ब्रह्मपुत्र घाटी में असमिया में, कछार जिलों में बंगला में और स्वायत्त क्षेत्र या जिलों में अंग्रेजी में दिया जाएगा I राज्य की सेवाओं में भर्ती परीक्षा का माध्यम अंग्रेजी है I राज्य सेवाओं में प्रवेश के लिए राज्य की राजभाषा का ज्ञान अनिवार्य है I राज्य सचिवालय स्तर पर कामकाज असमिया तथा अंग्रेजी में होता है I केंद्र सरकार और अन्य राज्यों के साथ पत्राचार अंग्रेजी में किया जाता है I जिला प्रशासन के स्तर पर भी अधिकांश पत्राचार अंग्रेजी में किया जाता है I
मणिपुर – मणिपुर की दो राजभाषाएँ हैं – मणिपुरी (मेतेई) और अंग्रेजी I मेतेई अथवा मणिपुरी चीनी -तिब्बती परिवार की भाषा है I मणिपुर के अतिरिक्त असम और त्रिपुरा के कुछ सीमित अंचलों में भी मणिपुरी बोली जाती है I इसे यूनेस्को द्वारा एक असुरक्षित भाषा के रूप में वर्गीकृत किया गया है। मणिपुरी भाषा भारतीय संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल है I यह मणिपुर में स्नातक स्तर तक की शिक्षा का माध्यम है I मणिपुरी को भारत के कुछ विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर स्तर तक एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। मणिपुरी भाषा की अपनी लिपि है-मेतेई-मएक । मणिपुरी के अतिरिक्त राज्यु में 29 बोलियां हैं जिनमें प्रमुख हैं- तंगखुल, भार, पाइते, लुसाई, थडोऊ (कुकी), माओ आदि । मणिपुरी के अतिरिक्त यहाँ बंगला भी बोली जाती है I शिक्षा के क्षेत्र में त्रिभाषा सूत्र लागू है जिसके अंतर्गत अध्ययन का क्रम इस प्रकार है :
1.मणिपुरी, अंग्रेजी, हिंदी, बंगला, नेपाली तथा पांच जनजातीय बोलियाँ प्रथम भाषा के रूप में I
2.अंग्रेजी द्वितीय भाषा के रूप में I 3.हिंदी तृतीय भाषा के रूप में I
कक्षा एक से पांच तक की शिक्षा के लिए मणिपुरी, हिंदी, तोंगखुल, लुशाई, पाइते, थडाऊ, कुकी, हमार या मणिपुर सरकार द्वारा स्वीकृत कोई आधुनिक भाषा आदि में से किसी एक भाषा को चुनने का विकल्प है I माध्यमिक स्तर तक शिक्षा का माध्यम मणिपुरी एवं अंग्रेजी है I
राज्य की सेवाओं में भर्ती परीक्षा का माध्यम अंग्रेजी है I राज्य की सेवाओं में प्रवेश के लिए राज्य की राजभाषा मणिपुरी का ज्ञान अनिवार्य नहीं है परंतु वांछनीय है I राज्य सचिवालय एवं जिला स्तर पर कामकाज अंग्रेजी में होता है I केंद्र सरकार और अन्य राज्यों के साथ पत्राचार अंग्रेजी में किया जाता है I
मेघालय – यहां खासी, जयंतिया और गारो तीन प्रमुख आदिवासी समुदाय के अतिरिक्त तिवा, राभा, हाजोंग, लाखेर, कार्बी, बाइते, कुकी आदि जनजातियों के लोग निवास करते हैं । मेघालय राज्य भाषा अधिनियम 2004 के अनुसार अंग्रेजी यहाँ की राजभाषा है I इसके अतिरिक्त ईस्ट खासी हिल्स, वेस्ट खासी हिल्स, जयंतिया हिल्स और रि-भोई जिलों में खासी भाषा सहायक राजभाषा है I इसके अतिरिक्त ईस्ट गारो हिल्स, वेस्ट गारो हिल्स औए साऊथ गारो हिल्स जिले में गारो भाषा सहायक राजभाषा है I मेघालय में सभी स्तरों पर अंग्रेजी न्यायालयों की भाषा है I मेघालय में खासी भाषा बोलनेवालों की संख्या सबसे अधिक है I यहाँ लगभग 48 प्रतिशत लोग खासी और 32 प्रतिशत लोग गारो भाषा बोलते हैं I इसके अतिरिक्त बंगला, नेपाली, हिंदी, मराठी और असमिया भाषा भी बोली जाती है I शिक्षा के क्षेत्र में यहाँ त्रिभाषा सूत्र लागू है जिसके अंतर्गत अध्ययन का क्रम इस प्रकार है :
1.प्रथम भाषा के रूप में गारो, खासी, बंगला, हिंदी या असमिया I 2. द्वितीय भाषा के रूप में अंग्रेजी I 3.तृतीय भाषा के रूप में हिंदी (हिंदीतरभाषियों के लिए) गारो, खासी या बंगला (हिंदीभाषियों के लिए) I कक्षा एक से सात तक की शिक्षा सामान्यतः अंग्रेजी माध्यम से दी जाती है I उच्च और उच्चतर विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा दी जाती है I राज्य सेवाओं में भर्ती के लिए आयोजित परीक्षाओं का माध्यम एकमात्र अंग्रेजी है I राज्य सचिवालय सहित सभी स्तरों पर कामकाज की भाषा अंग्रेजी है I केंद्र सरकार तथा अन्य राज्यों के साथ पत्राचार अंग्रेजी में होता है I
मिजोरम – मिजोरम की प्रमुख भाषाएँ हैं – मिज़ो, जाहू, लखेर, हमार, पाइते, लाई, राल्ते इत्यादि I मिजोरम की राजभाषा मिज़ो है I मिज़ो भाषा चीनी – तिब्बती परिवार की भाषा है I यह मिज़ोरम और म्यांमार के चिन राज्य में बोली जाती है I इसे दुहलियन भाषा के नाम से भी जानते हैं I मिज़ो भाषा मुख्य रूप से लुसेई बोली पर आधारित है, लेकिन इस भाषा में मिजोरम के अन्य आदिवासी समूहों की बोलियों के शब्द भी घुलमिल गए हैं I मिज़ो भाषा मिज़ोरम और उसके आसपास के क्षेत्रों जैसे, असम, त्रिपुरा और मणिपुर के कुछ हिस्सों में बोली जाती है I इस भाषा में पावी, पाइते, मार आदि भाषाओं के शब्द ही नहीं बल्कि काव्य -परंपरा भी उपलब्ध है I मिज़ो मिज़ोरम की आधिकारिक भाषा है। मिज़ो के अतिरिक्त यहाँ बंगला, हिंदी और अंग्रेजी भी बोली जाती है I शिक्षा के क्षेत्र में त्रिभाषा सूत्र लागू है जिसके अंतर्गत अध्ययन का क्रम इस प्रकार है :1.मिज़ो प्रथम भाषा के रूप में I 2.अंग्रेजी द्वितीय भाषा के रूप में I 3.हिंदी तृतीय भाषा के रूप में I कक्षा एक से सातवीं तक की शिक्षा सामान्यतः मिज़ो भाषा में दी जाती है I माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी है I राज्य की सेवा में भर्ती परीक्षा का माध्यम अंग्रेजी है I राज्य सेवाओं में प्रवेश के लिए राजभाषा मिज़ो का ज्ञान अनिवार्य है I राज्य सचिवालय स्तर पर कामकाज अंग्रेजी में होता है I केंद्र सरकार और अन्य राज्यों के साथ पत्राचार अंग्रेजी में किया जाता है I जिला प्रशासन के स्तर पर 60 प्रतिशत मूल पत्राचार मिज़ो भाषा में किया जाता है I
नागालैंड – नागालैंड की प्रमुख भाषाएँ चाकेसांग, अंगामी, जेलियांग, आओ, संगतम, यिमंगचुर,चांग, सेमा, खेमुन, रेंगमा, कोन्यक, नागामीज इत्यादि है I नागालैंड की राजभाषा अंग्रेजी है I नागा बोलियों के अतिरिक्त यहाँ असमिया, बंगला, हिंदी तथा नेपाली भी बोली जाती है I शिक्षा के क्षेत्र में त्रिभाषा सूत्र लागू है जिसके अंतर्गत अध्ययन का क्रम इस प्रकार है :
1.अंग्रेजी प्रथम भाषा के रूप में I 2.आओ, अंगामी, सेमा, लोथा, कोंयक, संगतम, रेंगमा, फोम, चांग, आदि स्थानीय भाषाएँ द्वितीय भाषा के रूप में I 3.हिंदी तृतीय भाषा के रूप में I राज्य सेवाओं में भर्ती परीक्षा का माध्यम एकमात्र अंग्रेजी है I राज्य सचिवालय स्तर पर कामकाज अंग्रेजी में होता है I केंद्र सरकार तथा अन्य राज्यों के साथ पत्राचार अंग्रेजी में किया जाता है I नागालैंड में लगभग 16 भाषाएं बोली जाती है। ये भाषाएं एक-दूसरे से भिन्न हैं। एक गांव की भाषा पड़ोसी गांव के लिए अबूझ है। इसलिए नागालैंड के निवासियों ने एक संपर्क भाषा विकसित कर ली है जिसका नाम ‘नागामीज’ है । यह असमिया, नागा, बांगला, हिंदी और नेपाली का मिश्रण है। एक प्रकार से नागामीज ही नागालैंड की संपर्क भाषा बन चुकी है I
त्रिपुरा – लगभग 19 आदिवासी समूह त्रिपुरा के समाज को वैविध्य,पूर्ण बनाते हैं जिनमें प्रमुख हैं- त्रिपुरी, रियांग, नोआतिया, जमातिया, चकमा, हालाम, मग, कुकी, गारो, लुशाई इत्याीदि । बंगला और काकबराक त्रिपुरा की राजभाषा है । शिक्षा के क्षेत्र में त्रिभाषा सूत्र लागू है जिसके अंतर्गत अध्ययन का क्रम इस प्रकार है : 1.बंगला, अंग्रेजी, हिंदी या लुशाई प्रथम भाषा के रूप में I 2.बंगला या अंग्रेजी द्वितीय भाषा के रूप में I 3.सातवीं और आठवीं कक्षा में हिंदी या संस्कृत और नवीं तथा दसवीं कक्षा में संस्कृत, पाली, अरबी, फारसी या हिंदी तृतीय भाषा के रूप में I कक्षा एक से दसवीं तक शिक्षा का माध्यम सामान्यतः बंगला है I राज्य की सेवाओं में भर्ती परीक्षा का माध्यम अंग्रेजी और बंगला है I राज्य की सेवाओं में प्रवेश के लिए राज्य की राजभाषाओं का ज्ञान अनिवार्य नहीं है I
सिक्किम – राज्यय में मुख्यैत: लेपचा, भूटिया, नेपाली तथा लिंबू समुदाय के लोग रहते हैं । सिक्किम सरकार ने प्रदेश की 11 भाषाओँ को राजभाषा घोषित किया है – नेपाली, सिक्किमी, हिंदी, लेपचा, तमांग, लिंबू, नेवारी, राई, गुरुंग, मागर और सुनवार I नेपाली इस प्रदेश की संपर्क भाषा है I नेपाली को भारतीय संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल किया गया है I शिक्षा के क्षेत्र में त्रिभाषा सूत्र लागू है जिसके अंतर्गत अध्ययन का क्रम इस प्रकार है :1.अंग्रेजी प्रथम भाषा के रूप में I 2.लेप्चा, लिम्बू, भूटिया या नेपाली द्वितीय भाषा के रूप में I 3.हिंदी तृतीय भाषा के रूप में I राज्य की सेवाओं में भर्ती परीक्षा का माध्यम अंग्रेजी है I सभी परीक्षाओं में अंग्रेजी का प्रश्नपत्र अनिवार्य है I राज्य की सेवाओं में प्रवेश के लिए राज्य की राजभाषाओं अथवा हिंदी का ज्ञान अनिवार्य नहीं है I राज्य सचिवालय एवं जिला स्तर पर कामकाज अंग्रेजी में होता है I केंद्र सरकार और अन्य राज्यों के साथ पत्राचार अंग्रेजी में किया जाता है I राज्य के अधिकांश कर्मचारी हिंदी पढना, लिखना एवं बोलना जानते हैं परंतु हिंदी में प्राप्त पत्रों के उत्तर भी अंग्रेजी में दिए जाते हैं I
अरुणाचल प्रदेश – अरुणाचल प्रदेश में लगभग 25 प्रमुख जनजातियाँ निवास करती हैं I आदी, न्यिशी, आपातानी, हिल मीरी, तागिन, सुलुंग, मोम्पा, खाम्ती, शेरदुक्पेन, सिंहफ़ो, मेम्बा, खम्बा, नोक्ते, वांचो, तांगसा, मिश्मी, बुगुन (खोवा ), आका, मिजी इत्यादि प्रदेश की प्रमुख जनजातियाँ हैं I इन सभी जनजातियों की अलग-अलग भाषाएं हैं लेकिन लेकिन अधिकांश के पास अपनी कोई लिपि नहीं है । केवल खाम्ती भाषा की अपनी खाम्ती लिपि है लेकिन इस लिपि का प्रयोग बहुत कम होता है I अरुणाचल की भाषाओँ में इतनी भिन्न ता है कि एक समुदाय की भाषा दूसरे समुदाय के लिए असंप्रेषणीय है । डॉ. ग्रियर्सन ने अरुणाचल की भाषाओं को तिब्बदती-बर्मी परिवार का उत्तडरी असमी वर्ग माना है । यहाँ की राजभाषा अंग्रेजी है I शिक्षा के क्षेत्र में त्रिभाषा सूत्र लागू है जिसके अंतर्गत अध्ययन का क्रम इस प्रकार है :1.अंग्रेजी प्रथम भाषा के रूप में I 2.हिंदी द्वितीय भाषा के रूप में I 3.संस्कृत तृतीय भाषा के रूप में I
कक्षा एक से विश्वविद्यालय स्तर तक शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी है लेकिन हिंदी प्राथमिक स्तर से पढाई जाती है I कोई भी जनजातीय भाषा इतनी विकसित नहीं है कि उसे राज्य की राजभाषा बनाया जा सके I इसलिए अंग्रेजी को ही शासकीय कामकाज और राज्य विधानसभा के कामकाज के लिए प्रयोग किया जाता है I विधानसभा की बहस में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ का प्रयोग किया जाता है I राज्य की सेवाओं में भर्ती परीक्षा का माध्यम अंग्रेजी है I किसी परीक्षा में हिंदी का विकल्प नहीं है I राज्य की सेवाओं में प्रवेश के लिए अंग्रेजी का ज्ञान अनिवार्य है I राज्य सचिवालय एवं जिला स्तर पर कामकाज अंग्रेजी में होता है I केंद्र सरकार और अन्य राज्यों के साथ पत्राचार अंग्रेजी में किया जाता है I राज्य के अधिकांश कर्मचारी हिंदी पढना, लिखना एवं बोलना जानते हैं परंतु हिंदी में प्राप्त पत्रों के उत्तर भी अंग्रेजी में दिए जाते हैं I सभी लोग संपर्क भाषा के रूप में हिंदी का प्रयोग करते है I विद्यालयों-महाविद्यालयों में व्यावहारिक रूप में माध्यसम भाषा हिंदी है । हिंदी इस प्रदेश की संपर्क भाषा है I
पूर्वोत्तर भारत के भाषायी वैविध्य के बीच हिंदी संपर्क भाषा के रूप में विकसित हो गई है I पूर्वोत्तर की भाषाओँ के बीच पर्याप्त भिन्नता है I एक भाषा से दूसरी भाषा बिल्कुल अलग है I एक प्रदेश में अनेक भाषाएँ और सभी एक – दूसरे से बिल्कुल भिन्न I उदाहरन के लिए नागालैंड की आओ भाषा बोलनेवाला व्यक्ति उसी प्रदेश की अंगामी, चाकेसांग अथवा लोथा भाषा नहीं समझ सकता है I इसी प्रकार असम का असमिया भाषाभाषी उसी राज्य में प्रचलित बोड़ो, राभा, कार्बी अथवा मिसिंग भाषा नहीं समझ-बोल सकता है I इसलिए हिंदी पूर्वोत्तर भारत की आवश्यकता बन चुकी है I अपनी सरलता, आंतरिक ऊर्जा और जनजुड़ाव के बल पर हिंदी पूर्वोत्तर क्षेत्र में निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है I क्षेत्र के दूरस्थ अंचल तक हिंदी का पुण्य आलोक विकीर्ण हो चुका है I क्षेत्र की विभिन्न भाषाओं- बोलियों के रूप, शब्द, शैली, वचन- भंगिमा को ग्रहण व आत्मसात करते हुए हिंदी के विकास का रथ आगे बढ़ रहा है I हिंदी की विकास- गंगा पूर्वोत्तर के सभी घाटों से गुजरती है एवं सभी घाटों के कंकड़- पत्थर, रेतकण, मिट्टी आदि को समेटते तथा अपनी प्रकृति के अनुरूप उन्हें आकार देते हुए आगे बढ़ रही है I यहाँ की हिंदी में असमिया का माधुर्य है, बंगला की छौंक है, नेपाली की कोमलता है, मिज़ो का सौरभ है, बोड़ो, खासी, गारो, कोकबोरोक आदि भाषाओँ का पुष्प- पराग है, आदी, आपातानी, मोंपा की सरलता है I इस क्षेत्र में हिंदी व्यापार, मनोरंजन, सूचना और जनसंचार की भाषा बन चुकी है I पूर्वोत्तर के सात केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त राज्य विश्वविद्यालयों में हिंदी के अध्ययन- अध्यापन व अनुसंधान की व्यवस्था है I सैकडों छात्र हिंदी में अध्ययन- अनुसंधान कर रहे हैं, यहाँ के सैकड़ों मूल निवासी हिंदी का प्राध्यापन कर रहे हैं I पूर्वोत्तर भारत में हिंदी का भविष्य उज्ज्वल है I

*वीरेन्द्र परमार

जन्म स्थान:- ग्राम+पोस्ट-जयमल डुमरी, जिला:- मुजफ्फरपुर(बिहार) -843107, जन्मतिथि:-10 मार्च 1962, शिक्षा:- एम.ए. (हिंदी),बी.एड.,नेट(यूजीसी),पीएच.डी., पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक,सांस्कृतिक, भाषिक,साहित्यिक पक्षों,राजभाषा,राष्ट्रभाषा,लोकसाहित्य आदि विषयों पर गंभीर लेखन, प्रकाशित पुस्तकें : 1.अरुणाचल का लोकजीवन (2003)-समीक्षा प्रकाशन, मुजफ्फरपुर 2.अरुणाचल के आदिवासी और उनका लोकसाहित्य(2009)–राधा पब्लिकेशन, 4231/1, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 3.हिंदी सेवी संस्था कोश (2009)–स्वयं लेखक द्वारा प्रकाशित 4.राजभाषा विमर्श (2009)–नमन प्रकाशन, 4231/1, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 5.कथाकार आचार्य शिवपूजन सहाय (2010)-नमन प्रकाशन, 4231/1, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 6.हिंदी : राजभाषा, जनभाषा, विश्वभाषा (सं.2013)-नमन प्रकाशन, 4231/1, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 7.पूर्वोत्तर भारत : अतुल्य भारत (2018, दूसरा संस्करण 2021)–हिंदी बुक सेंटर, 4/5–बी, आसफ अली रोड, नई दिल्ली–110002 8.असम : लोकजीवन और संस्कृति (2021)-हिंदी बुक सेंटर, 4/5–बी, आसफ अली रोड, नई दिल्ली–110002 9.मेघालय : लोकजीवन और संस्कृति (2021)-हिंदी बुक सेंटर, 4/5–बी, आसफ अली रोड, नई दिल्ली–110002 10.त्रिपुरा : लोकजीवन और संस्कृति (2021)–मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 11.नागालैंड : लोकजीवन और संस्कृति (2021)–मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 12.पूर्वोत्तर भारत की नागा और कुकी–चीन जनजातियाँ (2021)-मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली – 110002 13.उत्तर–पूर्वी भारत के आदिवासी (2020)-मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली– 110002 14.पूर्वोत्तर भारत के पर्व–त्योहार (2020)-मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली– 110002 15.पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक आयाम (2020)-मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 16.यतो अधर्मः ततो जयः (व्यंग्य संग्रह-2020)–अधिकरण प्रकाशन, दिल्ली 17.मिजोरम : आदिवासी और लोक साहित्य(2021) अधिकरण प्रकाशन, दिल्ली 18.उत्तर-पूर्वी भारत का लोक साहित्य(2021)-मित्तल पब्लिकेशन, नई दिल्ली 19.अरुणाचल प्रदेश : लोकजीवन और संस्कृति(2021)-हंस प्रकाशन, नई दिल्ली मोबाइल-9868200085, ईमेल:- [email protected]