सामाजिक

महिला सशक्तिकरण

महिला सशक्तिकरण! आज इसी परिवेश के हिस्सा हैं हमसब.. आज से कई सालों पहले तक महिलाओं पर अनेक जुल्म किए जाते रहे थे… उन्हें उनके आजादी से वंचित रखा जाता था ताकि, महिलाएं अपनी मनमर्जी न कर सकें और सदैव पुरुषों के अधीन होकर रहने को विवश रहे. जिससे कि समाज में पुरुषों का वर्चस्व बना रहे. कहीं न कहीं उन्हें डर था कि महिलाओं को अगर काबू में न रखा गया, तो वे पुरुषों से आगे निकल जाएगी जो कि, उन्हें कतई मंजूर नहीं….इसलिए उन्हें दबाने के लिए लड़कियों को जन्म से ही दायरों में समेट दिया गया.
पर इसी बीच.. कुछ ऐसी महिलाओं ने इस धरती पर अवतार लिया कि वे अपने शौर्य और पराक्रम का परिचय देकर इस पुरुष प्रधान समाज को आश्चर्य में डाल दिया. जैसे राजनीति के क्षेत्र झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, इंदिरा गांधी, सरोजिनी नायडू.. साइंस के क्षेत्र में मैडम क्यूरी, कल्पना चावला.. समाजसेवा के क्षेत्र में मदर टेरेसा, किरण बेदी.. खेल के क्षेत्र में पीटी ऊषा आदि ऐसे बहुत से नाम हैं जिन्होंने सदियों से चली आ रही रूढ़ियों, कुरीतियों, कुप्रथाओं आदि सामाजिक बन्धनों को तोड़कर अपने कामयाबी के परचम लहरा चुकीं हैं. समाज की संकुचित सोच को बदलने में अपना योगदान दिया है हालांकि, वर्तमान समय में बहुत सारे ऐसे नियम, कानून बनाए गए हैं संविधान में विशेष प्रावधान किए गए हैं.. जो महिलाओं के पक्ष में हैं, उन्हें उनके अधिकार सुनिश्चित करते हैं, उन्हें सशक्त बनाते हैं. बदलाव की आंधी चल चुकी है, पर फिर भी बहुत सी महिलाएं आज भी किसी न किसी पारिवारिक, सामाजिक अंकुश की शिकार हैं या यूं कह लें कि अभी वे महिला सशक्तिकरण की कड़ी से जुड़ी नहीं हैं. खुली सोच और स्वतंत्रता पूर्णत: उनकी झोली में नहीं आई है. पर, जल्द ही उन्हें भी इन तथाकथित अंकुशों की कैद से मुक्ति मिलेगी. क्योंकि, आज सरकार द्वारा चलाए जा रहे अनेक अभियान महिलाओं के विकास को लेकर जागरूक हैं और उस दिशा में लगातार कार्यरत भी हैं. जरुरत है तो पहली कदम बढ़ाने की. आज हमारे समाज की बहू, बेटियों में आत्मविश्वास की झलक देखने को मिलती है. वे निर्भीकता से अपनी-अपनी बात रख रही हैं. जिन क्षेत्रों में उनकी रुचि है बढ़ने को प्रयासरत हैं. आज महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. अपने दम पर खुद को खड़ा करने में सक्षम है ।
आज हर क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण का उदाहरण हम देख सकते हैं. इसका श्रेय महिलाओं को स्वयं को जाता है जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर देश, दुनिया में सुनहरे अक्षरों में अपना नाम अंकित कराया है और आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शक बनीं हैं।

— बबली सिन्हा

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]