तुम मिले तो खिल गया है
प्राण ये जीवन
झूमता है नाचता है
मोरनी सा मन
आज मानस सर भरा है
नेह का निर्झर
आज कम्पित हो उठा है
हिय पुलक से भर
देह की वीणा बजी है
प्रीत ये पावन
मोरनी सा मन …..!!
हो गया मधु प्रात है अब
ढल गयी रातें
भूल बीती रात को अब
भूल कटु बातें
रागिनी अब तान छेड़ो
गा रहा सावन
मोरनी सा मन…….!!
केश में गजरा सजाओ
यामिनी बहके
रातरानी की महक से
चाँदनी लहके
खूब गमके मालती अब
चम्पई आँगन
मोरनी सा मन …..!!
— रागिनी स्वर्णकार (शर्मा)