सपना एक बीज मन्त्र
जिसके दिल में सौम्य सुभाषित सपन सलोना हो।
जिसके दिल में बेहिसाब हर पाना – खोना हो।।
ऐसे दिल के स्वामी सम्मुख सादर नत जग है।
सपनों को पूरा करने के हेतु मगन मग है।।
सपनों के सागर की लहरें नभ को छू लेतीं।
सीपी – शंखों को उछालकर आँचल भर देतीं।।
इसी स्वप्न में सारे अन्वेषण का उद्गम है।
इसी स्वप्न से दुनिया का हर कोना जगमग है।।
मत मरने दो अच्छे सपने मुश्किल से डरकर।
चलो स्वप्न के सूर्य उगायें रातों से लड़कर।।
अवध स्वप्न में सृष्टि और समृद्धि समाहित है।
सपनों के ही बीज मन्त्र में सृजन सम्मिलित है।।
— डॉ अवधेश कुमार अवध