कविता

सपना एक बीज मन्त्र

जिसके दिल में सौम्य सुभाषित सपन सलोना हो।
जिसके दिल में बेहिसाब हर पाना – खोना हो।।

ऐसे दिल के स्वामी सम्मुख सादर नत जग है।
सपनों को पूरा करने के हेतु मगन मग है।।

सपनों के सागर की लहरें नभ को छू लेतीं।
सीपी – शंखों को उछालकर आँचल भर देतीं।।

इसी स्वप्न में सारे अन्वेषण का उद्गम है।
इसी स्वप्न से दुनिया का हर कोना जगमग है।।

मत मरने दो अच्छे सपने मुश्किल से डरकर।
चलो स्वप्न के सूर्य उगायें रातों से लड़कर।।

अवध स्वप्न में सृष्टि और समृद्धि समाहित है।
सपनों के ही बीज मन्त्र में सृजन सम्मिलित है।।

— डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन