ग़ज़ल
कैसे कहूं कि तुमसे मुझे कितना प्यार है
पल पल तुम्हारी खातिर दिल बेकरार है।
धड़कन ठहर रही है जीना हुआ है मुश्किल
लव बेजुबान है जैसे ये दिल तार-तार है।
कब चैन से मिलेंगे हम दोनों इस फिजा में
बिन तेरे जिंदगी सूनी, सूनी ये बहार है।
कभी भूल के भी हमको न भूलना कभी
रब से भी ज्यादा तुम पर हमें एतबार है।
मिलता है सुकूं तेरी आंखों में डूबकर
तू चैन मेरे दिल का दिल का करार है।
मुझको गले लगाकर कुछ हम्हें गुजार दो
दिल चीज क्या है जानिब तुम पे जां निसार है।
— पावनी जानिब सीतापुर