हंगामा
कल रात एक भूखी बकरी आई,
पेड़ पर लिखी एक ग़ज़ल उसे भाई,
पूरी-की-पूरी ग़ज़ल वह चबा गई,
पूरे शहर में हंगामा मच गया,
कल रात एक बकरी शेर को खा गई.
कल रात एक भूखी बकरी आई,
पेड़ पर लिखी एक ग़ज़ल उसे भाई,
पूरी-की-पूरी ग़ज़ल वह चबा गई,
पूरे शहर में हंगामा मच गया,
कल रात एक बकरी शेर को खा गई.
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जब कोई भी और आपकी खुशी को नहीं मनाता है,
तो खुद ही अपनी खुशी मनाओ,
जब कोई और आपकी उपलब्धि को नहीं मानता है,
तो खुद ही अपनी उपलब्धि को मानो,
जब कोई भी और आपको प्रोत्साहित नहीं करता है,
तो खुद ही अपने को प्रोत्साहित करो.