जिंदगी तुम जिंदगी को जीना सीखा देती हो।
पल में रूला देती, कभी पल में हँसा देती हो।
सबब कितना भी सुंदर हो मेरी जिंदगी का,
आज जो दोस्त है कल दुश्मन बना देती हो।
फुलों की सेज मिलना इतना आसान नहीं,
हालात बदलते ही काँटो पर सुला देती हो।
जिन की नज़रों में कभी था खुद बुलंदी पर,
बेमुरव्वत उन्ही की नज़रों से गिरा देती हो।
चाहा जिन्हें दगा दिया इस कदर जान कर,
जिल्लत कर गमीं के आँसू पीला देती हो।
जिंदगी में हकीकत मिलती भी अजीब सी,
गैरत छोड़ शराफत का गला दबा देती हो।
मेरी वफ़ा तेरी जफ़ा से तार तार हो गई,
क्यों बार बार बेरहमी से सज़ा देती हो।
शिव तुम्हें सिर उठा कर रखा मेरी जिंदगी,
किस गुनाह की बेदर्दी फिर सजा देती हो।
— शिव सन्याल