लघुकथा

एड्स रोग से राहत

वर्ल्ड एड्स डे रविवार 1 दिसंबर को मंजुला का मैसेज आया-

”दीदी, आपका बताया नुस्खा आजमाकर मुझे बहुत लाभ हुआ. पाचन क्रिया को पूर्णतः मजबूत बनाने के लिए मैंने रोज लंच से पहले एक लौंग खाना शुरु किया और मेरी पाचन क्रिया मजबूत हो गई. ब्लड शुगर लेवल घटाने के लिए रोज एक अमरूद खाने का नुस्खा भी ममी के काम आया. फेसबुक पर ‘वर्ल्ड एड्स डे’ के उपलक्ष में आपके गीत ‘एड्स रोग की करुण कहानी’ ने बहुत कुछ सिखाया और मुझे कल स्कूल में बच्चों को वर्ल्ड एड्स डे के विषय में बताने को बहुत कुछ मिल गया.” 30 साल पहले लिखे गीत के लिए मंजुला की यह प्रतिक्रिया शर्मीला के लिए बहुत प्रोत्साहक थी.

 

”जब यह गीत लिखा गया था, तब भी इसे बहुत सराहा गया था. शिक्षा विभाग से भी इस गीत के लिए अनुशंसा आई थी.” शर्मीला ने लिखा- ”छात्रों को यह भी बताना कि एड्स छूत की बीमारी नहीं है, साथ ही एड्स और HIV इन्फेक्शन में बहुत फर्क होता है.”

”वो कैसे दीदी?’ मंजुला ने पूछा था.

”HIV वायरस है जो एड्स फैला सकता है और नहीं भी. ज्यादातर लोगों को लगता है कि एचआईवी और एड्स में सिर्फ इतना फर्क है कि HIV एक वायरस है जो कि AIDS फैलाता है. एड्स एचआईवी इन्फेक्शन की सबसे सीवियर (तीसरी या आखिरी) स्टेज है. इससे पहले दो स्टेजेज और होती हैं. एड्स एक कलेक्टिव टर्म है जो कि एचआईवी से जुड़ी कई समस्याओं का द्योतक है.”

”दीदी, आप तो इस विषय में बहुत कुछ जानती हैं, कुछ और भी बताइए, ताकि अगर कोई छात्र-छात्रा या अध्यापक कोई प्रश्न पूछे तो जवाब दे सकूं.” मंजुला की जिज्ञासा बढ़ गई थी.

”एचआईवी इन्फेक्शन की 3 स्टेजेज होती हैं, जिसमें लास्ट स्टेज को एड्स कहते हैं. एचआईवी इन्फेक्शन के 6 हफ्ते बाद फर्स्ट फेज होती है, जिसमें बुखार, ठंड लगना, गले में खराश, जोड़ों और मसल्स में दर्द, थकान वगैरह के लक्षण होते हैं. दूसरी स्टेज में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते. कुछ लोगों में यह स्टेज 20 साल तक चल सकती है. वैसे कोई लक्षण नहीं दिखते, पर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है.”

”दीदी, इससे बचाव का कोई तरीका तो होगा न!”

”हां-हां, बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप साल, दो साल में स्क्रीनिंग करवाते रहें, क्योंकि पहली स्टेज इन्फ्लूएंजा की तरह निकल जाती है और बाकी स्टेज में कोई लक्षण नहीं दिखता. कई लोगों को नहीं पता चलता कि उन्हें इन्फेक्शन हुआ है और वह दूसरों तक भी इन्फेक्शन फैला देते हैं.”

”दीदी, एड्स डे के विषय में कुछ और भी बताइए न!” मंजुला का आग्रह था.

”भारत में 80 के दशक में पहला एड्स का मामला सामने आया था, तब से लगातार देश में इस बीमारी से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती गई. हालांकि, अब सरकार द्वारा उठाए गए रोकथाम के कदम से स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है. मौजूदा समय में देश में हर साल एचआईवी के 87,000 केस आते हैं. 2030 तक इन केसेज की संख्या 10,200 तक कर देने का टारगेट है. दिल्ली में इन केसेज की संख्या हर साल 173 तक सीमित करने का टारगेट है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हर साल 6500 से 7 हजार के बीच नए केस आते हैं. इनमें से दिल्ली के रहने वाले औसतन 3 हजार मरीज होते हैं. बाकी वे लोग हैं, जो दिल्ली से बाहर के हैं.”

”दीदी, दिल्ली में दिल्ली से बाहर के लोग एड्स से अधिक क्यों प्रभावित होते हैं?” मंजुला पूरी तरह तैयार होकर जाना चाहती थी.

”तुमने गीत में तो जाना ही होगा, कि केवल जीवनसाथी से ही, शारीरिक संबंध रखना चाहिए. जो लोग दिल्ली में काम करने, पढ़ने आदि आते हैं, वह अनप्रटेक्टिड सेक्स और इंजेक्टेबेल नशे के चलते इसका शिकार हो जाते हैं.”

”दीदी, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया. आपने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया.” मोबाइल ने विराम ले लिया था.

हम-आप तो तब विराम लेंगे, जब सभी लोगों को इस बारे में जागरुक कर पाएंगे.

‘एड्स से बचाव ही एड्स का सबसे बेहतर इलाज है.’

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “एड्स रोग से राहत

  • लीला तिवानी

    भारत में ढीली पड़ रही है एड्स की पकड़, एचआईवी-एड्स के नए मामलों में करीब 90% कमी
    भारत में 80 के दशक में पहला एड्स का मामला सामने आया था, तब से लगातार देश में इस बीमारी से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती गई। हालांकि, अब सरकार द्वारा उठाए गए रोकथाम के कदम से स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है।

Comments are closed.