बड़ी बात
नन्ही-सी समृद्धि ने प्रगति मैदान के मेले के एक पवेलियन में प्लास्टिक से बनी चूड़ियां, गुड़िया, खिलौने आदि देखे. जिज्ञासावश उसने पवेलियन में काउंटर पर खड़ी एक दीदी से पूछा-
”दीदी, मैंने तो कपड़े से बने गुड़िया और खिलौने देखे हैं, आपने प्लास्टिक से चूड़ियां, गुड़िया, खिलौने आदि क्यों बनाए हैं?”
”इतना तो आप जानती ही होंगी, कि जागरुकता के कारण सिंगल प्लास्टिक पन्नियों का उपयोग अब सीमित हो गया है, फिर भी लापरवाही के कारण जो पन्नियां हम इधर-उधर फेंक देते हैं, उनसे नालियां चोक हो जाती हैं और मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है. हमने इसका प्रयोग करने का यह तरीका निकाला है.”
”दीदी, प्लास्टिक पर लिखे आपके ये नारे मुझे बहुत अच्छे लग रहे हैं, मैं नोट कर लूं?”
”जरूर, आपके पास लिखने के लिए कॉपी-पेन है? नहीं तो मैं दूं?”
”दीदी, कॉपी-पेन तो मेरे पास है. हमारी टीचर दीदी ने कहा था कि मेले से कुछ काम की बातें लिखकर ले आना.”
समृद्धि ने लिखा-
”1.हम सबका एक ही नारा,
प्लास्टिक हटाना हो लक्ष्य हमारा.
2.प्लास्टिक हटाओ,
धरती बचाओ.
3.अब की बार,
प्लास्टिक का बहिष्कार.
4.प्लास्टिक है जीवन का दुश्मन,
बचाएं धरती माता को, खुश रहेगा तन-मन.
5.आओ करें प्लास्टिक-बंदी,
प्लास्टिक का प्रयोग करना है आदत गंदी.
”दीदी, अगर नोट-बंदी से पहले प्लास्टिक-बंदी की जाती, तो कितना अच्छा होता!”
समृद्धि की इस बात को पास से गुजरते हुए एक मेला अधिकारी ने छोटी-सी बच्ची की इतनी बड़ी बात सुनकर उसकी प्रशंसा की और उसका नाम पूछा.
”समृद्धि.” जवाब मिला.
”सचमुच सब बच्चे आप जैसे सोचने और कार्य करने लगें, तो हमारा देश समृद्ध हो जाएगा और हमारी धरती भी विध्वंस से बच जाएगी.” कहकर काउंटर के माइक से उसे उस दिन का सबसे जागरुक दर्शक घोषित कर पुरस्कृत किया.
प्लास्टिक बैग पर सख्त NGT, निर्माण और प्रयोग पर रोक लगाने के दिए निर्देश
प्रदूषण / केरल में सिंगल यूज प्लास्टिक से बनाया समुद्री कब्रिस्तान, लुप्त हो रही समुद्री प्रजातियों को दी श्रद्धांजलि
स्कूली बच्चों और गांव वालों ने मिलकर बनाई पर्यावरण की प्रयोगशाला
सत्ता का व्यापारी है।
लगता तीर कटारी है।।
जोड़ तोड़ सरकार बनाते,
कुर्सी की बीमारी है।।
शकुनी को भी मात दे दिया।,
इतना बड़े जुआरी है।
दुर्योधन के छल प्रपंच में,
शल्य की भी लाचारी है।
आज यहां कल वहां घूमता,
ऐसी उसकी यारी है।
नेताओं के जोड़ -तोड़ में,
जनता बड़ी बेचारी है।
लोकतंत्र के महापर्व में,
उसी की हिस्सेदारी है
हमारे देश के बच्चों के साथ सभी लोगों और नेताओं-कार्यकर्त्ताओं की सोच समृद्धि जैसी हो जाए, तो देश को समृद्ध बनाने से भला कौन रोक सकता है!