लिसीप्रिया कंगुजम, दक्षिणी गोलार्ध की ग्रेटा थनबर्ग
‘बदलें हम तस्वीर जहाँ की,
सुन्दर सा एक दृश्य बनाएं,
संदेश ये हम सब तक फैलाएं
आओ ! मिलकर पर्यावरण बचाएं
भारत की आठ वर्षीया लिसीप्रिया कंगुजम नाम की एक स्वर्णपुत्री, जिसे दक्षिणी गोलार्ध का ग्रेटा थनबर्ग के नाम से विश्व ख्याति प्राप्त हो रही है, अपने दृढसंकल्प से इस धरती, इंसानी नस्ल और नन्हें बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए स्पेन की राजधानी मेड्रिड में चल रहे विश्व जलवायु संबंधित कॉप-25 सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए विश्व के सबसे ताकतवर नेताओं से उन्हें उनकी जिम्मेदारियों को याद दिलाते हुए ये जोरदार अपील किया है कि ‘उसके जैसे नन्हें जलवायु कार्यकर्ता व्यवस्था में परिवर्तन चाहते हैं न कि जलवायु परिवर्तन में। ‘
जाहिर है हर साल जलवायु सम्मेलन होता है,इस पृथ्वी को बचाने का संकल्प लिया जाता है,परन्तु उसे बचाने हेतु जब ‘कुछ करने ‘की बारी आती है,तो दुःखदरूप से वो देश ही अपने कदम पीछे खींच लेते हैं जो वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादे प्रदूषण फैलाने के जिम्मेदार हैं। फलतः यह धरती मानव के लिए और भी दुरूह ग्रह बनती जा रही है । अब धरती की इस भीषण तबाही के मंजर को 8वर्षीया लिसीप्रिया कंगुजम और 16 वर्षीया ग्रेटा थनबर्ग जैसे छोटे-छोटे नन्हें बच्चे भी समझने लगे हैं और वे भी इस धरती को बचाने के लिए अपनी बारीक परन्तु गंभीर और दृढ आवाज को अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर विश्व के ताकतवर परन्तु खूसट राजनीतिज्ञों के कानों और उनके दिमाग में अपनी सच्ची और दृढ बात डालने लगे हैं और उन्हें यह सोचने पर बाध्य करने लगे हैं कि ‘अब बहुत हो चुका अब सम्भल जाओ,नहीं तो सब कुछ तबाह हो जायेगा। ‘
विश्व के बिगड़ते पर्यावरण संतुलन को पुनः सहेजने के लिए अपनी आवाज़ को ऊँची और बुलन्द करती लिसीप्रिया कंगुजम और ग्रेटा थनबर्ग जैसी छोटी-छोटी-नन्हीं बच्चियों और बेटियों के हिम्मत,साहस,दृढसंकल्प और कठोर जज्बे को विश्व के उन करोड़ों-अरबों लोगों का विनीत अभिनन्दन,जो अब चाहते हैं कि भविष्य में इस पृथ्वी को इसके समस्त जैवमण्डल सहित मनुष्यप्रजाति को भी रहने योग्य बनाए रखने के लिए अब अंधाधुंध प्रदूषण पर ईमानदारी से पूर्णतः विराम लगे।
— निर्मल कुमार शर्मा