बालगीत – लाल टमाटर
मैं हूँ गोल टमाटर लाल।
करता लाल तुम्हारे गाल।।
पेरू से मैं भारत आया।
योरूप में भी नाम कमाया।।
लव एपल का बड़ा कमाल।
मैं हूँ गोल टमाटर लाल।।
मुझे मानते हैं जो सब्जी।
कर लें दूर वहम की कब्जी।।
मैं फल हूँ गठिया का काल।
मैं हूँ गोल टमाटर लाल।।
खुजली हो या बेरी – बेरी।
नहीं निवारण में हो देरी।।
सभी फलों में एक मिसाल।
मैं हूँ गोल टमाटर लाल।।
मधुमेही को बहुत ज़रूरी।
करता उनकी माँगें पूरी।।
सोलेनेसी कुल का लाल।
मैं हूँ गोल टमाटर लाल।।
पुष्पाण्डाशय से मैं आता।
इसीलिए मैं फल कहलाता।।
क्षार प्रकृति का बड़ा कमाल।
मैं हूँ गोल टमाटर लाल।।
मरते नहीं विटामिन मेरे।
गर्म करो चाहे बहुतेरे।।
फिर भी करता सदा धमाल।
मैं हूँ गोल टमाटर लाल।।
वसारहित ‘सी’भरा विटामिन।
एक नहीं सौ-सौ गुण लो गिन
नहीं सेब भी कम दो बाल।
मैं हूँ गोल टमाटर लाल।।
— डॉ. भगवत स्वरूप ‘शुभम’