गीतिका/ग़ज़ल

नूतन साल आया

पूर्ण कर अरमान, नूतन साल आया।
जाग रे इंसान, नूतन साल आया।

ख़ुशबुओं से तर हुईं बहती हवाएँ
थम गए तूफान, नूतन साल आया।

गत भुलाकर खोल दे आगत के द्वारे
छेड़ दे जय गान, नूतन साल आया।

कर विसर्जित अस्थियाँ गम के क्षणों की
बाँटकर मुस्कान, नूतन साल आया।

मन ये तेरा अब किसी भी लोभ मद से
हो न पाए म्लान, नूतन साल आया।

रब रहा है पूछ तेरी, क्या रज़ा है
माँग ले वरदान, नूतन साल आया।

आसमाँ आतुर तुझे हिय से लगाने
चढ़ नए सोपान, नूतन साल आया।

यत्न कर प्राणी, कि मानवता ही तेरी
खो न दे पहचान, नूतन साल आया।

सब नया है, कुछ नया करना है तुझको
‘कल्पना’ यह जान, नूतन साल आया।

*कल्पना रामानी

परिचय- नाम-कल्पना रामानी जन्म तिथि-६ जून १९५१ जन्म-स्थान उज्जैन (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवास-नवी मुंबई शिक्षा-हाई स्कूल आत्म कथ्य- औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद मेरे साहित्य प्रेम ने निरंतर पढ़ते रहने के अभ्यास में रखा। परिवार की देखभाल के व्यस्त समय से मुक्ति पाकर मेरा साहित्य प्रेम लेखन की ओर मुड़ा और कंप्यूटर से जुड़ने के बाद मेरी काव्य कला को देश विदेश में पहचान और सराहना मिली । मेरी गीत, गजल, दोहे कुण्डलिया आदि छंद-रचनाओं में विशेष रुचि है और रचनाएँ पत्र पत्रिकाओं और अंतर्जाल पर प्रकाशित होती रहती हैं। वर्तमान में वेब की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘अभिव्यक्ति-अनुभूति’ की उप संपादक। प्रकाशित कृतियाँ- नवगीत संग्रह “हौसलों के पंख”।(पूर्णिमा जी द्वारा नवांकुर पुरस्कार व सम्मान प्राप्त) एक गज़ल तथा गीत-नवगीत संग्रह प्रकाशनाधीन। ईमेल- [email protected]