शंका के बादल
घिरा हूँ,
शंका के बादलों के बीच
मुझे निकालो ना!
डर है,
कहीं डूब न जाऊँ खामोशी में
मुझे सम्भालो ना!
छूटी उम्मीद,
खुद से खुद के जीतने की
मुझे बचा लो ना!
हर वक्त
ढकेला जाता हूँ पुरानी परछाइयों में
मुझे छिपा लो ना!
…….#मानस
घिरा हूँ,
शंका के बादलों के बीच
मुझे निकालो ना!
डर है,
कहीं डूब न जाऊँ खामोशी में
मुझे सम्भालो ना!
छूटी उम्मीद,
खुद से खुद के जीतने की
मुझे बचा लो ना!
हर वक्त
ढकेला जाता हूँ पुरानी परछाइयों में
मुझे छिपा लो ना!
…….#मानस