अपना गांव करौंदी
ग्राम करौंदी की आओ पहचान बताते हैं,
बड़े-बड़े दो पावन धाम की महिमा गाते हैं।
चमत्कारिणी मां गायत्री का मंदिर यहां विशाल,
मां शारदा मंदिर का वैभव हम यहां दिखाते हैं।।
भक्ति भाव से मंदिर में सब महिमा गाते हैं,
मातारानी सम्मुख आकर अपनी व्यथा सुनाते हैं।
नहीं कह सका जो मित्रों से या अपने परिवार में,
मां के दरपर आकर अपनी हर बात बताते हैं।।
अर्द्ध शतक पहले जो पथ एक वीराना दिखता था,
संध्या की किरणों से पहले विकट वीराना दिखता था।
आज वहीं पर रौनक दिखती रेलमपेल बाजारों में,
भांति-भांति की सजी दुकानें जहां वीराना दिखता था।।
पर सच कहता हूं सारी रौनक बाजारों में दिखती है,
गांवों की गलियां अब भी एकदम वीरानी दिखती है।
एक समय था बल्ब टंगे थे सब खम्भों में विद्युत के,
विकट अंधेरे में लिपटी अब भ्रष्टतंत्र ही दिखती है।।
— प्रदीप कुमार तिवारी