मुक्तक/दोहा

स्वार्थ सिद्ध में

स्वार्थ सिद्ध में नेताओं ने, अंगारों पर हमको डाला,
गलतफहमियां पैदा कर, नफ़रत में हमको पाला।
नाग विषैले छोड़ दिये हैं, जहर उगलने के खातिर,
सच्चाई से दूर किया है, मिथ्या लेप से हमको ढ़ाला।।

ईमान की कसमें खाकर बेइमान छुपे हैं खालों में,
सच्चाई को फेंक के आये हैं ये बहते नालों में।
जनमानस की आंखों में लालच की पट्टी बांधे हैं,
इसी लिए तो फंसा हुआ है मानव इनकी जालों में।।

सुबह शाम जब भी देखो अफवाहों का दौर चला,
सत्य छुपाकर कहने वाला सुविधाओं का दौर चला।
भय दिखाकर मानव को मनुजाद बनाने वाला ही,
देशद्रोह को जनने वाली, मानसिकताओं का दौर चला।।

— प्रदीप कुमार तिवारी

प्रदीप कुमार तिवारी

नाम - प्रदीप कुमार तिवारी। पिता का नाम - श्री दिनेश कुमार तिवारी। माता का नाम - श्रीमती आशा देवी। जन्म स्थान - दलापुर, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश। शिक्षा - संस्कृत से एम ए। विवाह- 10 जून 2015 में "दीपशिखा से मूल निवासी - करौंदी कला, शुकुलपुर, कादीपुर, सुलतानपुर, उत्तर-प्रदेश। इलाहाबाद मे जन्म हुआ, प्रारम्भिक जीवन नानी के साथ बीता, दसवीं से अपने घर करौंदी कला आ गया, पण्डित श्रीपति मिश्रा महाविद्यालय से स्नातक और संत तुलसीदास महाविद्यालय बरवारीपुर से स्नत्कोतर की शिक्षा प्राप्त की, बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगव रहा है। समाज के सभी पहलू पर लिखने की बराबर कोशिस की है। पर देश प्रेम मेरा प्रिय विषय है मैं बेधड़क अपने विचार व्यक्त करता हूं- *शब्द संचयन मेरा पीड़ादायक होगा, पर सुनो सत्य का ही परिचायक होगा।।* और भ्रष्टाचार पर भी अपने विचार साझा करता हूं- *मैं शब्दों से अंगार उड़ाने निकला हूं, जन जन में एहसास जगाने निकला हूं। लूटने वालों को हम उठा-उठा कर पटकें, कर सकते सब ऐसा विश्वास जगाने निकला हूं।।* दो साझा पुस्तके जिसमे से एक "काव्य अंकुर" दूसरी "शुभमस्तु-5" प्रकाशित हुई हैं