स्वार्थ सिद्ध में
स्वार्थ सिद्ध में नेताओं ने, अंगारों पर हमको डाला,
गलतफहमियां पैदा कर, नफ़रत में हमको पाला।
नाग विषैले छोड़ दिये हैं, जहर उगलने के खातिर,
सच्चाई से दूर किया है, मिथ्या लेप से हमको ढ़ाला।।
ईमान की कसमें खाकर बेइमान छुपे हैं खालों में,
सच्चाई को फेंक के आये हैं ये बहते नालों में।
जनमानस की आंखों में लालच की पट्टी बांधे हैं,
इसी लिए तो फंसा हुआ है मानव इनकी जालों में।।
सुबह शाम जब भी देखो अफवाहों का दौर चला,
सत्य छुपाकर कहने वाला सुविधाओं का दौर चला।
भय दिखाकर मानव को मनुजाद बनाने वाला ही,
देशद्रोह को जनने वाली, मानसिकताओं का दौर चला।।
— प्रदीप कुमार तिवारी