गीत/नवगीत

तो कोई बात बने

पल-पल रंग बदलती दुनिया में
गिरगिट बने बिना रह सको, तो कोई बात बने.
कुदरत की चहकती-महकती दुनिया की
चहक-महक बनाए रख सको, तो कोई बात बने.
मिटती इंसानियत के फलक में
सजीले-चटकीले रंग भर सको, तो कोई बात बने.
पर्यावरण को प्रदूषण की मार से
बचाने में सहायक बन सको, तो कोई बात बने.
अपनी इज़्ज़त के लिए तरसने-लड़पने वालो
अपने मुल्क की इज़्ज़त बरकरार रख सको, तो कोई बात बने.
-लखमी चंद तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “तो कोई बात बने

  • लीला तिवानी

    खुशी में तो सभी हंसते-मुस्कुराते हैं,
    गमों की घड़ियों में भी मुस्कुरा सको तो कोई बात बने.

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