शीशम की पत्तियों से बनी दवा टूटी हड्डियों के लिए बनी ‘संजीवनी ‘
आज के अधिकतर समाचार पत्रों ने लखनऊ स्थित सेन्ट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट के भारतीय वैज्ञानिकों की टूटी हड्डियों को जोड़ने की एक बेजोड़ दवा अविष्कृत करने का एक सुखद समाचार प्रकाशित किए हैं। इन वैज्ञानिकों ने इमारती लकड़ी के मुख्य श्रोत शीशम {डलबर्जिया सिस्सू }नामक पेड़ की पत्तियों में उपस्थित कुछ विशेष औषधीय तत्व पॉलीफिनाइल ग्लाइकोसाइड व केवीयूनीन नामक मॉलिक्यूल,जो हड्डियों को मजबूती देने का काम करता है, से रीयूनियन और यूनियन एडवांस्ड नामक दवा बनाने में सफलता प्राप्त किए हैं, जो टूटी हड्डियों को मात्र 14 दिनों में पूर्णतः जोड़ देने में सक्षम है, जबकि पहले टूटी हड्डियों को जुड़ने में दो महिने तक का समय लग जाता था।
महिलाओं में मेनोपॉज के बाद इस्ट्रोजन हार्मोन बनना बन्द हो जाता है,जिससे उनकी हड्डियाँ कमजोर होने लग जातीं हैं,जो जरा से झटके में ही टूट जातीं हैं,इसे ऑस्टियोपोरोसिस रोग कहा जाता है,इस रोग में भी यह नई ईजाद की गई दवा बहुत ही उपयोगी है। यह ऐसी हर्बल दवा है,जो फ्रैक्चर हीलिंग के लिए अतिसुरक्षित है,इसका कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं है, चूँकि यह दवा शीशम की पत्तियों से बनाई जाती है, इसलिए उसके पेड़ के साथ ही पर्यावरण को भी इसके बनाने से कोई क्षति नहीं पहुँचती है। ऐसे शोध के लिए हमें अपने भारतीय वैज्ञानिकों पर गर्व है।
— निर्मल कुमार शर्मा