जीत की खातिर न यूँ तकरार करना
हार को भी शान से स्वीकार करना।
आग का दरिया अगर हो राह में भी
हौसले से मुश्किलों को पार करना ।
बन न जाए इक तमाशा आदमी भी
सोच अपनी भी न यूँ बेकार करना ।
हुस्न, दौलत से मुहब्बत लाजिमी है
कोई हद इसके लिये मत पार करना ।
माँ के चरणों मे मिले सबको सुकूँँ बस
माँ पे सारा प्रेम की बौछार करना ।
कोई ऐसा काम मत करना यहाँ अब
इस वतन को औऱ मत शर्मसार करना।