गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

आ  के  जाना नहीं  जिंदगी से मेरे हो  के  नाराज़  भी  जिंदगी से मेरे । है ख़ता तो सजा दीजिए अब मुझे खार भी जाएँ कुछ जिंदगी से मेरे। यूँ तो अश्कों से दामन भिगोया बहुत गम  मिटेंगे भी क्या  जिंदगी से मेरे । रब्त आँसू  का दिल से रहेगा सदा वास्ता ,…क्या तुम्हें जिदगी […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

जिंदगी को बहार कर लें क्या, और कुछ इंतज़ार कर लें क्या। खुद पे’ इख्तियार कर लें क्या औऱ कुछ इंतज़ार कर लें क्या। जिंन्दगी नाम कर दिया तेरे जान अपनी निशार कर लें क्या। आग दामन तेरे लगाकर यूँ खुद को’ हीं फरार कर लें क्या। रोग ये लाइलाज – सा लेकर, खुद को’ […]

हाइकु/सेदोका

हायकु

पिता सर्वस्व लघुतम जिंदगी में आपके, मेरे । लिये है भार निज परिवार का काँधे पे सारा । स्वयं को भूल मिट्टी धूल भी ओढे़ नहीं थमता । सब समझें परेशानी हमारी रहते मौन । सहते रहे बाहर दुःख कई गंभीर सदा । बाप कहते जिसको दुनिया में मानो ईश्वर । आप न होते जीवन […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

जब मुहब्बत में दिल ये खसारा हो गया , दुनियावी हर खुशी से ही किनारा हो गया… हँसने न पाये खुलकर , न रोए हम यहाँ सय्याद जैसा दिल भी अब हमारा हो गया… राहों में दिल के सामने आये थे वो मंजर ये देख कर के आखिर बेचारा हो गया…. समझे थे जिसको अपने […]

कविता

नारी हूँ मैं

मत करो उपहास मेरा मै तुम्हारी सर्जना हूँ ! जो समर में साथ दे दे मेघ – सी मैं गर्जना हूँ  ! मत समझना चूडि़यों से पायलों से बंध गयी हूँ मैं वही हूँ कालिका जो पार देहरी कर गयी हूँ  ! बाँध कर  राखी कलाई नेग पाती हूँ , .बहन हूँ दो कुलों की […]

गीत/नवगीत

अपने हिन्दुस्तान में

खबरें  पढिए , शर्म से गड़िए , अपने हिन्दुस्तान में……….!! कहीं  सड़क पर लुटती  है  बेटी कहीं गौ माताओं की हत्या कहीं बालिकाओं का शोषण कहीं धर्म के नाम से पोषण, अपने हिन्दुस्तान ………….!! अपने ही भारत में अब तो शहर – दर- शहर मानो बसा हुआ हो रावण जैसे हाल अजब, चाल गज़ब है […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

कट रही जिंदगी धूप में, छाँव में हो रहा है गुजर, प्यार के गांव में उस शहर के कई लोग भी आ गये वो भी महफूज़ हैं, प्यार के गांव में अब वतन ये मेरा गुल्सिता़ं बन गया खार भी फूल हैं प्यार के गाँव में माँ नहीं है मगर माँ की यादें तो हैं […]

कविता

सच बताना भी बला है

सच बताना भी बला है सच छुपाना भी कला है। दिल में रखना मत छुपाकर हाल उसको सब पता है।। हाथ पर क्यों हाथ रखते काम बाकी सब पड़ा है । सच की बातें खूबसूरत सच मगर सबको खला है । सच का हो जब सामना तो फिर लगे मुश्किल बड़ा है। सच छुपाने के […]

कविता

समय की रेंगनी से

समय की रेंगनी से गुम हो गयी खुशी की मोतियाँ  सभी  खजाने की, हाथ  सिर्फ आई  रिश्ते की नाजुक डोर खामोशियाँ रही सताने की। चंद लोगों की भीड़ थी और थी कुछ बहुत यूँही मन बहलाने की, छोड़ गये वो साथ आखिर एकदिन यादें  बची  रहीं बस रूलाने की। आस्माँ देखकर कृषक खुश होता है […]

गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

वतन की आन तिरंगा और ये शान  तिरंगा  है, मेरे दिल में बसा रहता, मेरा अरमान तिरंगा है ! कि सरहद पर मिटें सैनिक जिसकी मुहब्बत में वही सम्मान है और मुल्क की पहचान तिरंगा है ! बचाकर के बुरी नजरों से भी जिसे रखा हमने वो हिंदुस्तान  का ही खूब- सा पहचान तिरंगा है […]