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सदाबहार काव्यालय- 2: एक सुखद समारोह

सदाबहार काव्यालय- 2 हम सबके लिए एक सुखद समारोह रहा. सोच रही हूं, ब्लॉग ”सदाबहार काव्यालय- 2: एक सुखद समारोह” का प्रारंभ शुरु से करूं या आखिर से!” चलिए इसका आग़ाज़ आंकड़ों से ही कर लेते हैं.

सदाबहार काव्यालय- 1 की तरह सदाबहार काव्यालय- 2 भी वास्तव में एक सुखद समारोह रहा. इस समारोह में 22 कवियों ने अपनी प्रतिभागिता दर्ज की, 70 सदाबहार काव्य-रचनाओं का दीदार हुआ.

सदाबहार काव्यालय की यह श्रंखला न केवल आंकड़ों की दृष्टि से द्रष्टव्य रही, अन्य अनेक पहलुओं से भी उल्लेखनीय रही. हमेशा की तरह एक आह्वान से अनेक कविताएं आती गईं और श्रंखला की कड़ियां सजती गईं.

इसमें जिन कवियों की कविताएं सम्मिलित हुईं, वे इस प्रकार हैं-
1.सुदर्शन खन्ना- 7 कविताएं
2.रविंदर सूदन- 3 कविताएं
3.नरिंदर कुमार वाही- 1 कविता
4.गौरव द्विवेदी- 5 कविताएं
5.गुरमेल भमरा- 1 कविता
6.श्रीमती कैलाश भटनागर- 1कविता
7.अजय एहसास- 1 कविता
8.राजीव गुप्ता- 1 कविता
9.अब्बास रज़ा अलवी- 2 कविताएं
10.पुष्प राज चसवाल- 1 कविता
11.डा० कनिका वर्मा- 1 कविता
12.लखमी चंद तिवानी- 2 कविताएं
13.कुसुम सुराणा- 3 कविताएं
14.इरा जौहरी- 1 कविता
15.डॉ. वंदना शर्मा- 1 कविता
16.डॉ० अनिल चड्डा- 2 कविताएं
17.ज़हीर अली सिद्दीक़ी- 3 कविताएं
18.इंद्रेश उनियाल – 4 कविताएं
19.चंचल जैन- 2 कविताएं
20.डॉक्टर इला सांगा- 1 कविता
21.प्रकाश मौसम- 1 कविता
22.लीला तिवानी- 26 कविताएं

सदाबहार काव्यालय- 2 की कुछ मुख्य झलकियां-

इस सदाबहार काव्यालय- 2 में नए कवियों में सबसे पहले सुदर्शन खन्ना आए. इसके बाद वयोवृद्ध कवि नरिंदर कुमार वाही, गौरव द्विवेदी, अब्बास रज़ा अलवी, पुष्प राज चसवाल, डा० कनिका वर्मा, कुसुम सुराणा. इरा जौहरी, डॉ. वंदना शर्मा, डॉ० अनिल चड्डा, ज़हीर अली सिद्दीक़ी, इंद्रेश उनियाल, चंचल जैन और डॉक्टर इला सांगा यानी लगभग सभी कवि सदाबहार काव्यालय- 1 में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सके थे. नए-पुराने सभी कवियों की काव्य-रचनाएं एक-से-बढ़कर-एक धूम मचाने वाली रहीं.

सदाबहार काव्यालय- 2 का आग़ाज़ 24 नवंबर 2018 को सुदर्शन खन्ना की कविता दरख्त से हुआ. सुदर्शन खन्ना ने इसका जिक्र वयोवृद्ध कवि नरिंदर कुमार वाही से किया. वाही जी ने भी अपनी पंजाबी कविता ‘मैंनूं कुछ कहणा है’ भेजी. इस कविता में उन्होंने जीवन के बारे में कुछ नहीं, बहुत कुछ या कि यों कहें सब कुछ कह दिया. यों तो कविता सरल पंजाबी में थी, पर सुदर्शन खन्ना ने कृपापूर्वक इसका सटीक हिंदी अनुवाद करके भी भेज दिया, जिससे पाठकों को कविता को समझना और अधिक आसान हो गया.

रविंदर सूदन ने भी एक वयोवृद्ध कवयित्री डॉक्टर इला सांगा को प्रोत्साहित करके उनकी खूबसूरत कविता ‘उम्मीद अभी बाकी है’ से हमारा परिचय कराया और उम्मीद की किरण को प्रज्ज्वलित किए रखा.

ना-ना करते इंद्रेश उनियाल ने भी कविता में कलम-आजमाइश की और 4 कविताएं लिख भेजीं. अपने को कविता से कोसों दूर मानने वाले इंद्रेश उनियाल की कविता ‘पार दरिया के फिर भी पहुँच जाता हूँ’ के बारे में तो आप लोगों ने क्या-क्या लिखा था, आप लोग भूले नहीं होंगे.

हमेशा की तरह ना-नुकुर करते गुरमैल भाई ने भी पलक झपकते बहुत खूबसूरत कविता ‘और मुझे जीना है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!-‘ लिख भेजी. इस कविता के बारे में आप सब लोग जानते ही हैं, कि गुरमैल भाई ने इस छोटी-सी कविता में बड़ी खूबसूरती से अपनी पूरी आत्मकथा लिख दी है. इस कविता ने जय विजय और पंजाबी जगत में भी धूम मचा दी.

ऑस्ट्रेलिया के कवि अब्बास रज़ा अलवी की कविता ‘तू ईश्वर है या अल्लाह’ ने जय विजय की महफिल को लूट लिया और मासिक पत्रिका में अपनी जगह बना ली.

चंचल जैन की कविता ‘मैं हूं नटखट बचपन’ के साइड इफैक्ट्स तो आपको पता ही हैं, इस विषय पर कामेंट्स में ही कितनी कविताएं बन गईं. ये सब हमारी-आपकी विशेष उपलब्धियां हैं.

कुसुम सुराणा ले ‘खोल दो मुट्ठी’ से लेकर ‘.सदाबहार काव्यालय का कारवां’ तक अपनी कविताओं से अपनी लेखनी का लोहा मनवाया.

‘काश!’ के साथ आए गौरव द्विवेदी की ललक देखिए-
”समयाभाव के चलते मुझे पता नहीं चल सका कि फिर सदाबहार काव्यालय-2 का यह अंतिम भाग है. यदि मुझे तनिक भी ज्ञात होता तो मैं भी फिर सदाबहार काव्यालय-2 की इस अविस्मरणीय कड़ी में अपनी प्रतिभागिता सुनिश्चित करता. मैं इस अंतिम भाग में सहयोगी बनने से वंचित रह गया जिसका मुझे हमेशा मलाल रहेगा.”

अपने सम्माननीय प्रतिभागी को भला मलाल कैसे रहने दिया जा सकता है! इसलिए हमने फिर सदाबहार काव्यालय- 51 के भाग 2 का आयोजन किया. गौरव द्विवेदी की ललक के साथ ही उनकी शुभकामनाओं का अंदाज़ देखिए-

”फिर सदाबहार काव्यालय-2 की सफलता के लिए आप सभी को हृदय से कोटिशः नमन सहित धन्यवाद. मुझे इस श्रृंखला में स्थान देने के लिए लीला दीदी को धन्यवाद बोलने के मेरे पास शब्द नहीं हैं. मैं बस यही बोलूँगा कि आप अपना आशीष मुझे ऐसे ही देती रहें और साथ ही एक अनुरोध कि फिर सदाबहार काव्यालय की तर्ज़ पर ही आप एक नई श्रृंखला “काव्य गंगा”, “काव्य मंजरी” या “काव्य मंथन” के नाम से प्रारंभ करें. सादर नमन सहित धन्यवाद.”

गौरव भाई, हमारे पास आप सब लोगों की रचनाएं प्रकाशित करने के लिए बहुत-से उपाय हैं, आपने भी अनेक उपाय सुझा दिए, इसके लिए आप धन्यवाद के पात्र हैं.

चलते-चलते मौसम विहार- दिल्ली के निवासी मौसम विभाग से ताल्लुकात रखने वाले प्रकाश मौसम ने तुरंत ‘मौसम’ कविता से अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दी.

 

यहां हम आपको बताते चलें, कि सदाबहार काव्यालय-2 के आयोजन में राजेंद्र तिवानी का सहयोग और दूरदर्शिता भी उल्लेखनीय हैं. हमने उनको ‘सदाबहार काव्यालय’ की ई.बुक बनाने के लिए कहा था. उन्होंने बनाई ”सदाबहार काव्यालय-1”, यहीं से शुरुआत हो गई थी ”सदाबहार काव्यालय-2” की, जिसे हमने ”फिर सदाबहार काव्यालय” के संबोधन से शुरु किया था. हरि इच्छा रही, तो सदाबहार काव्यालय-3 में हम आपको राजेंद्र तिवानी के कवि रूप के दर्शन भी करवाएंगे.

एक विशेष बात-
सुदर्शन खन्ना के ब्लॉग की सबसे पहली रचना थी ”दरख्त”. यही रचना सदाबहार काव्यालय-2 की पहली रचना बनी. इसी तरह गौरव द्विवेदी के ब्लॉग की सबसे पहली रचना थी ‘काश!’ इनके ब्लॉग का नाम भी है ‘काश!’ और यही थी सदाबहार काव्यालय-2 में गौरव द्विवेदी की सबसे पहली रचना.

अभी कहां चल दिए! पिक्चर अभी बाकी है. सदाबहार काव्यालय- 2 की समापन कड़ी आते ही चंचल जैन ने हमें सदाबहार काव्यालय के लिए कविता भेज दी, इस कविता को हम आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं.

नया साल

जगमग-जगमग रोशनी होगी,
झिलमिल-झिलमिल आतिशबाजी,
लहरायेंगे नभ में गुब्बारे,
वो भी राजी, हम भी राजी.
सुर-लय-ताल से सज जाए महफिल,
मीठी-मधुरिम तान छिड़ेगी,
झूम-झूम नाचेंगे सारे,
नए साल की भेरी बजेगी.
बीती यादें मीठी-कड़वी,
कुछ मनभावन, कुछ अनचाही,
भूले-बिसरे, खट्टे-मीठे,
फिर से मिलेंगे अनगिन राही.
त्योहार हमें सिखाते जुड़ना,
कभी मुड़ाना, कभी खुद मुड़ना,
नेह-प्रेम से महके हर दिल,
रहें प्रेम से, छोड़ें कुढ़ना.
वैर-भाव से दूर रहें हम,
सद्भावों से खिल जाए बगिया,
प्रेम-गीत से गूंजे कण-कण.
सपनों-सी सुंदर हो दुनिया.
मौज मनाएं, खुशिया पाएं,
स्वागत कर लें नए साल का,
आओ मिल-जुल जश्न मनाएं,
स्वागत कर लें नए साल का.
-चंचल जैन

कहने को बातें बहुत हैं, पर आज तो बस इतना ही कहकर हम विराम लेते हैं, जिन्हें हम-आप कामेंट्स में कहते रहेंगे. आप सबको सहयोग के लिए शुक्रिया और धन्यवाद के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएं और बधाइयां.

पुनश्च
हमेशा की तरह आप लोगों के लिए एक सदाबहार प्रोजेक्ट-
नववर्ष के स्वागत के लिए हम सब तैयार हैं. हर्ष की इस वेला को हमारा विशेष सदाबहार कैलेंडर भी सदाबहार बनाने के लिए तैयार है. आपकी 2-4 पंक्तियों की नववर्ष के स्वागत की खूबसूरत पंक्तियां इस विशेष सदाबहार कैलेंडर को और अधिक विशेष और हर्षमय बना सकती हैं. कामेंट्स में आपकी सदाबहार पंक्तियों की प्रतीक्षा रहेगी.

इस ब्लॉग को भी पढ़ें-
काव्य-रचनाओं का मेला (लघुकथा)

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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “सदाबहार काव्यालय- 2: एक सुखद समारोह

  • लीला तिवानी

    आप सब लोगों के असीम सहयोग से हम अत्यंत भावविह्वल और निःशब्द हैं. अपनी श्रेष्ठतम रचना हमारे ब्लॉग के लिए भेजकर आपने अपनी अद्भुत प्रतिभा को निखारा है, हम आपके बहुत-बहुत आभारी हैं. अब शीघ्र ही इसकी ई.बुक बनने की प्रक्रिया प्रारंभ होगी. जैसे ही ई.बुक बन जाएगी, हम आप सबके लिए एक ब्लॉग के रूप में प्रकाशित करेंगे और आपको व्यक्तिगत रूप से भी बताएंगे. एक बार फिर आप सब लोगों का कोटिशः धन्यवाद.

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