गज़ल
जिंदगी गाकर सजाकर देखिए
बंदगी बनकर निखर कर देखिए
जब लिये मकसद नये से आएगी
चाह हो तो सर झुकाकर देखिए
है अगर जीना तो मरकर देखिये
और जुड़ना तो बिखरकर देखिये
शिद्दते-एहसास क्या शै है बढ़े
दान दामन से लिपटकर देखिये
हार में तब्दील सारी आरज़ू हुई
और ना अब रग जगाकर देखिये
नूर बरसा सोच सजकर आस में
आइये तो साथ गाकर देखिये
राह में चाहत सकूं पाकर देखिये
खाब्ब से “मैत्री”सजा कर देखिए
— रेखा मोहन