कविता

बीत रहा…

बीत रहा जाने वाला साल ,
आया कुछ यादो का ख्याल।
बीते दिन जा रहे भूले ख्याल से ,
है आमद में बचे ले सवाल से।
चिड़ियाँ चहक रही पेड़ों पर,
ज़िन्दगी महक रही घेरो पर।
आशा में रही तन्हाई देरो से ,
उदय ना सूरज तम के फेरों से।
भोर हुआ दिल ना कभी खिला ,
भागती रही ज़िन्दगी ले सिला।
नया साल खुशियाँ भर लाये ,
ये `मैत्री’ तमन्नायो को सज़ाये।

— रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]