बीत रहा…
बीत रहा जाने वाला साल ,
आया कुछ यादो का ख्याल।
बीते दिन जा रहे भूले ख्याल से ,
है आमद में बचे ले सवाल से।
चिड़ियाँ चहक रही पेड़ों पर,
ज़िन्दगी महक रही घेरो पर।
आशा में रही तन्हाई देरो से ,
उदय ना सूरज तम के फेरों से।
भोर हुआ दिल ना कभी खिला ,
भागती रही ज़िन्दगी ले सिला।
नया साल खुशियाँ भर लाये ,
ये `मैत्री’ तमन्नायो को सज़ाये।
— रेखा मोहन