कविता

हिन्दुस्तानी

मेरा नाम है हिन्दुस्तानी
मै तो बोलूँ मीठी बानी
मुझसे बचकर रहना प्राणी
यहाँ चलेगी ना मनमानी
मेरे देश में बहती गंगा
मन रहता हरदम चंगा
मेरे दिल में बसे तिरंगा
मुझसे लेना मत तुम पंगा
मैं प्रेम प्यार की करता बातें
मस्त मेरे दिन मस्त मेरी है रातें
मुझसे करना ना तुम घातें
नहीं तो रह जाओगे पछताते
मेरा घर गली मोहल्ला
यहाँ करना ना तुम हल्ला
नहीं तो बनके रहोगे निठल्ला
मैं तो घूमूं बनके मस्त मलंग
मुझको भाती नहीं है जंग
मेरा बदले कभी ना रंग
कभी उलझना ना मेरे संग
नहीं तो होकर रह जाओगे दंग

— आयुष त्रिपाठी

आयुष त्रिपाठी

भोपाल मध्य प्रदेश