कविता

नया साल नयी आशा 

नया साल आ रहा है,
नयी आशा ला रहा है।
नए सपने मन को लुभा रहे है,
लगता है कुछ नया होने वाला है।
ठण्ड बढ़ती जा रही है,
चारो तरफ नए साल की धूम है।
अमीरो का नया साल मनता है होटलो में.
गरीबो का मनता है फुटपाथों पर,
नयी आशा यही है की दूरी मिट जाएगी,
नया साल नयी आशा लेकर आया है।
प्यार का रंग होगा देश में,
सबके चेहरे पर होगी ख़ुशी,
आने वाला साल ख़ुशी अपार लाये,
ढेरो सौगात लाये हम डूब जाये उन खुशियों में।
नफरत की दीवार न रहे सबके बीच में,
नयी ऊर्जा का प्रकाश हो,
हर कोई मस्त हो नए साल में,
कोहरे में लिपटी जिंदगी,
नए साल का इंतजार कर रही है,
नया साल नया खुशियाँ ला रहा है।।
— गरिमा

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384