सदाबहार काव्यालय का सुहाना सफर
ब्लॉग ‘सदाबहार काव्यालय- 2: एक सुखद समारोह’ में आप सब लोगों ने प्रतिक्रियाएं लिखीं, हमने भी एक प्रतिक्रिया लिखी-
”सदाबहार काव्यालय का सृजन प्रारंभ होने की पृष्ठभूमि बहुत ही रोचक भी है और रोमांचक भी. हुआ यह कि अचानक हमारे सामने एक साइट आ गई- ‘काव्यालय’. इसमें अनेक नए-पुराने श्रेष्ठतम कवियों के साथ मेरी एक कविता भी प्रकाशित हुई थी. यह कोई चोरी-चकारी नहीं थी, बाकायदा हमारे नाम के साथ प्रकाशित हुई थी, सिर्फ अनुमति नहीं ली थी. अगर यह साइट अकस्मात हमारे सामने न आती, तो हमें पता भी नहीं चलता, कि इतनी खूबसूरत महफिल में हमारी रचना को भी सम्मिलित किया गया है. हमारा हर्षित होना स्वाभाविक था. बाद में हमारे मन में विचार आया, कि जैसा हर्ष हमें मिला है, पर बिना पूर्व अनुमति सूचना के, क्यों न ऐसा ही हर्ष अन्य साथियों-कवियों को भी दिया जाए, पर सहमति, पूर्व अनुमति व सूचना के साथ. यहीं से शुरु हुआ सदाबहार काव्यालय का सुहाना सफर.”
यह प्रतिक्रिया लिखते ही हमारे मन में एक नए ब्लॉग के शीर्षक का उदय हुया- ‘सदाबहार काव्यालय का सुहाना सफर’. प्रतिक्रिया पढ़ते ही आई सुदर्शन खन्ना की सुहानी प्रतिक्रिया-
”आइये, आइये, इस ऊर्जापूर्ण ईंधनरहित 22 डिब्बों वाली सुपर शाब्दिक एक्सप्रेस में आपका स्वागत है – सौजन्य आदरणीय लीला तिवानी जी – टिकट-रहित देश विदेश ब्रह्माण्ड की बिना पासपोर्ट के सैर कराती – आकाश से, धरती से, पहाड़ से, घाटी से, नदी से, समुन्दर से, इंसानों से, देवों से, पंछियों से, पशुओं से, वृक्षों से, फूलों से, सब्ज़ियों से, फलों से, हर मौसम से, हर हलचल से, हर घटना से, हर रंग से, हर ढंग से, बचपन से, यौवन से, वृद्धावस्था से, जन्म से, मृत्यु से, जीवन यात्रा से, जीवन चक्र से, सुख से, दुःख से, हंसी से, रुदन से, गीत से, संगीत से, प्रेम से, दुष्प्रेम से, स्वार्थ से, निस्वार्थ से, लाभ से, हानि से, उदासी से, हौसले से, आशा से, निराशा से, परिचित से, अपरिचित से, जीवन की हार से, जीवन की जीत से, भूख से, प्यास से, वीरता से, कायरता से, वीरता से, इंसानियत से, बेरुखी से, दयालुता से, निर्दयता से और न जाने किस किस से परिचय कराती यह एक्सप्रेस हर समय अपना ब्लॉग पर उपलब्ध है – आइये इसमें सैर करें – जीवन के अलग अलग अनुभव लें – आप सभी इसमें जुड़ सकते हैं – कोई सीमा नहीं – इस एक्सप्रेस की माननीय चालिका बहुत ही ज्ञानवान और गुणी हैं – स्नेह वात्सल्य से पूर्ण, प्रोत्साहित उत्साहित करने वाली – इस अवसर का लाभ उठाइये – आदरणीय दीदी, सादर प्रणाम.” सुदर्शन भाई की पैनी-धारदार लेखनी ने इस ब्लॉग के कैप्शन, समझ गए न आप! शीर्षक की शानदार-जानदार रिपोर्टिंग कर दी.
सदाबहार काव्यालय के सभी कवियों, पाठकगण व कामेंटेटर्स के लिए नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं-
”नए साल में भी बनी रहे आपकी यह ऊर्जा,
चलता रहे आपकी खुशियों का सुहाना सफर,
रहे सदा चहकती-महकती, सिखाती-राह दिखाती,
आपकी पैनी कलम और सकारात्मक डगर.”
इसी दिन सुबह-सुबह प्रकाश मौसम की दो कविताएं मिलीं-
1.बूंदें ये बारिश की…
किसी तार के तंग होने या डीलेलेपन से
ज़मीन और इस बिंदु के बीच का फ़ासला बढ़ता है या घटता है,
तंग तारों पर से रेंगती बूंदें भी एक जगह नहीं गिरतीं,
ढीलापन कतार में सरकती इन बूंदों को गति देता है.
शुभकामनाओं सहित
प्रकाश मौसम
2.सदाबहार कैलेंडर
कैलेंडर के एक कोने में उसने
अपने लिए जगह बना ली
हर मौसम में नज़र आती
चुभती नुकीली सुई धागे के संग
भीतर गहराई छूकर
उस पार से बाहर जब लौटती
कभी किसी को जोड़ देती
कभी फटे में से दिखती तस्वीर छिपाती
रंगबिरंगी धागों में उलझकर
कभी गुत्थियों से खेलकर
हँसते-गाते बीत गया बचपन
इन्ही सुई धागे के संग
थरथराती उँगलियां, कमज़ोर होती नज़र
जिंदगी के अलग-अलग पड़ाव पर
छेद-भेद करता रंगीन धागा
पार करने में लगता समय अब कुछ ज़्यादा
चुभन सहकर सुई की
मजबूत गांठ धागे की
माला रंगबिरंगी फूलों की
सजने सवरने लगी है….
नववर्ष के आगमन के संग
जुड़ने लगे एक दूसरें के संग
बदल गया कैलेण्डर का रंग..
बदल गया कैलेण्डर का रंग..
‘नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित’
सभी ब्लॉगर्स के लिए शुभकामनाएं…अनलिमिटेड।
सस्नेह
प्रकाश मौसम
नए वर्ष की पूर्व संध्या पर आपको नए वर्ष की हार्दिक बधाइयां और शुभकामनाएं.
आज से ही शुरु हो रहे हैं हमारे नए वर्ष के स्वागत के कार्यक्रम, जो किसी-न-किसी रूप में 9 जनवरी तक चलते रहने की उम्मीद है. हरि इच्छा कैव्यलम.
नए वर्ष की पूर्व संध्या पर आप सबको नए वर्ष की हार्दिक बधाइयां और शुभकामनाएं.
ऑस्ट्रेलिया / ढाई लाख लोगों की मांग- न्यू ईयर पर सिडनी में आतिशबाजी न करें, खर्च की रकम आग से प्रभावित किसानों को दी जाए
ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में नए साल पर होने वाली आतिशबाजी को 50 से ज्यादा जंगलों में लगी आग को देखते हुए इस बार रद्द करने की मांग की जा रही है। इसके लिए एक ऑनलाइन पिटीशन के जरिए हस्ताक्षर अभियान चलाया गया है। इसमें मांग की गई है कि कार्यक्रम पर खर्च होने वाली रकम आग से प्रभावित क्षेत्रों के किसानों के लिए राहत कार्यों पर खर्च की जाए। अब तक ढाई लाख से ज्यादा लोगों ने इसके समर्थन में हस्ताक्षर किए हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, इस साल आतिशबाजी पर 45 लाख रुपए खर्च किए जाने हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जंगलों की आग से सिडनी और अन्य प्रमुख शहर पहले से ही प्रदूषित हैं। ऐसे में आतिशबाजी के कारण गंभीर समस्याओं पैदा हो सकती हैं। यह साल बाढ़ और आग के लिहाज से ऑस्ट्रेलिया के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है, इसलिए न सिर्फ सिडनी बल्कि देश के किसी भी राज्य में आतिशबाजी नहीं होनी चाहिए।