कविता

परमपराएं…!!

सदियों से चलती…
जीवन में बसती ..
सांसो से उतर के ..
रग-रग में समाकर..
फिर…लहू संग बहती
सबमें जीती है… ये परम्पराएं…

विचारों की विधा…
बुजुर्गों की व्यथा..
संस्कृति की गाथा…
प्रथाओं ने निभाई…
सामाजिक कथाओं में
मौलिक अभिव्यक्ति.. ये परम्पराएं..

विधि का है ज्ञान..
दृष्टिकोण में दृढ़संकल्प
दायित्वों में सर्वसम्मान
धार्मिक प्रवृत्ति आलेख..
अस्तित्व का है अभिमान
बांधती पुराणों से…ये परम्पराएं..

हमेशा से नतमस्तक
संस्कृतियों की रक्षक…
आडंबरों से मुक्त..गतिमान
मान्यताओं में उदारता…
सामाजिक-आर्थिक-मौलिक
विकास की देन है… ये परम्पराएं…

रुढ़िवादी नहीं, इक विश्वास
जीवन की आहूति नहीं…
समय से समय के अनुसार
मनुष्य हित, लोकहित..सार्वजनिक
मन से साथ सबके साथ
इक साज़ मे निभती है …ये परम्पराएं

नंदिता मानती है कि
परम्पराओं का चलन
संस्कृति के धरोहर को नमन..
झुकती हूँ लेकिन..
झूठे आडंबरों औ रिवाजों पे नहीं..
समय के साथ परिवर्तन..औ
मान-सम्मान की मौलिक व्यवस्था
दिल में जलते दिये की तरह….
रोशन करें…जग को..मुझको
संस्कृति की धरोहर… ये परम्पराएं…!!

— नंदिता

तनूजा नंदिता

नाम...... तनूजा नंदिता लखनऊ ...उत्तर प्रदेश शिक्षा....एम॰ ए० एंव डिप्लोमा होल्डर्स इन आफिस मैनेजमेंट कार्यरत... अकाउंटेंट​ इन प्राइवेट फर्म वर्ष 2002से लेखन में रुचि. ली... कुछ वर्षों तक लेखन से दूर नहीं... फिर फ़ेसबुक पर वर्ष 2013 से नंदिता के नाम से लेखन कार्य कर रही हूँ । मेरे प्रकाशित साझा संग्रह.... अहसास एक पल (सांझा काव्य संग्रह) शब्दों के रंग (सांझा काव्य संग्रह) अनकहे जज्बात (सांझा काव्य संग्रह ) सत्यम प्रभात (सांझा काव्य संग्रह ) शब्दों के कलम (सांझा काव्य संग्रह ) मधुबन (काव्यसंग्रह) तितिक्षा (कहानी संग्रह) काव्यगंगा-1 (काव्यसंग्रह) लोकजंग, शिखर विजय व राजस्थान की जान नामक पत्रिका में समय समय पर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती है । मेरा आने वाला स्वयं का एकल काव्य संग्रह... मेरी रुह-अहसास का पंछी प्रकाशन प्रक्रिया में है नई काव्य संग्रह- काव्यगंगा भी प्रकिया में है कहानी संग्रह भी प्रक्रिया में है संपर्क e-mail [email protected] Facebook [email protected]