परमपराएं…!!
सदियों से चलती…
जीवन में बसती ..
सांसो से उतर के ..
रग-रग में समाकर..
फिर…लहू संग बहती
सबमें जीती है… ये परम्पराएं…
विचारों की विधा…
बुजुर्गों की व्यथा..
संस्कृति की गाथा…
प्रथाओं ने निभाई…
सामाजिक कथाओं में
मौलिक अभिव्यक्ति.. ये परम्पराएं..
विधि का है ज्ञान..
दृष्टिकोण में दृढ़संकल्प
दायित्वों में सर्वसम्मान
धार्मिक प्रवृत्ति आलेख..
अस्तित्व का है अभिमान
बांधती पुराणों से…ये परम्पराएं..
हमेशा से नतमस्तक
संस्कृतियों की रक्षक…
आडंबरों से मुक्त..गतिमान
मान्यताओं में उदारता…
सामाजिक-आर्थिक-मौलिक
विकास की देन है… ये परम्पराएं…
रुढ़िवादी नहीं, इक विश्वास
जीवन की आहूति नहीं…
समय से समय के अनुसार
मनुष्य हित, लोकहित..सार्वजनिक
मन से साथ सबके साथ
इक साज़ मे निभती है …ये परम्पराएं
नंदिता मानती है कि
परम्पराओं का चलन
संस्कृति के धरोहर को नमन..
झुकती हूँ लेकिन..
झूठे आडंबरों औ रिवाजों पे नहीं..
समय के साथ परिवर्तन..औ
मान-सम्मान की मौलिक व्यवस्था
दिल में जलते दिये की तरह….
रोशन करें…जग को..मुझको
संस्कृति की धरोहर… ये परम्पराएं…!!
— नंदिता