हुआ असर उनसे रू ब रू का
ये रंग रोशन जो मू औ रू का
भरी है नफ़रत दिलों मे हरसू
नही हैं मतलब वहां वज़ू का
खुले दरीचे भी तंगदिल हैं
अजीब मंज़र ये कू ब कू का
लगे ये आलम बड़ा ही प्यारा
असर हुआ उन से गुफ़्तगू का
तुम्हारे दिल मे हमारी चाहत
असर ये लाजिम है आरज़ू का
ये रागिनी गुनगुना उठी है
नशा कहाँ ऐसा’ है सुबू का
— रागिनी स्वर्णकार (शर्मा)