गीतिका
प्यार के मोड़ पर ,तुम मिलों तो सही।
प्रेम की बारिशों में तुम भीगो तो सही।।
नैनों में प्रेम मदिरा भरके तो देखो।
मैकदे के जरा से दूर हों तो सही।।
आचमन अधरों का तुम करों तो सही।
प्रीत की मिश्री मन मे भरो तो सही।।
हमने देखा नही,कुछ भी जाना नहीं।।
प्रीत के गीत को,तुम सुनो तो सही ।।
दे रही है सदा धड़कनें दिल की।
पास आकर जरा कुछ कहो तो सही।।
— सविता वर्मा “ग़ज़ल”