साहित्यकार व कवियत्री सविता वर्मा ’गजल’ नारी जीवन की अभिव्यक्ति को सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत करने का सशक्त हुनर रखती है वे नारी को कभी एकांकी या असहाय नही समझती यदि नारी के जीवन में यदि ऐसा मोड़ या पल आ भी जाता है तो उससे लड़ने जूझने को प्रेरित करती हैं जो इनके लेखन […]
Author: सविता वर्मा "ग़ज़ल"
सविता वर्मा ‘ग़ज़ल’ की पुस्तक “अभी नयन हैं रीते” का आकाशवाणी द्वारा विमोचन
नजीबाबाद के आकाशवाणी केंद्र पर कार्यक्रम अधिशासी अधिकारी श्री शोभित शर्मा जी के द्वारा जनपद की कवियत्री व कथाकार डॉ.सविता वर्मा ‘ग़ज़ल’ की पुस्तक “अभी नयन हैं रीते” काव्य संग्रह का विमोचन किया गया। आकाशवाणी के “महिला जगत” कार्यक्रम के अंतर्गत “उड़ान हौंसलो की” में साहित्यकार सविता वर्मा ‘ग़ज़ल’ साक्षात्कार भी हुआ। इस अवसर पर आकाशवाणी की […]
उसने कहा
उसने कहा… कैद सिर्फ पिंजरा या कारावास ही नहीं होते.. कभी कभी घर की चार दिवारी भी पिंजरे और कारावास से कही बढ़कर होती हैं। पिंजरा तोड़कर उड़ जाते हैं पँछी अक्सर ही। सजा पूरी कर छूट जाते हैं कैदी भी। मगर कभी कभी अत्यंत घुटन व दम तोड़ देने वाली होती हैं ये घर की चार दीवारें […]
सविता वर्मा ‘ग़ज़ल’ को मिला “मुंशी प्रेमचंद कथा सम्मान-2021
8 मई 2022 ,नयी दिल्ली स्थित हिन्दी भवन ,निकट बाल भवन में युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (पंजीकृत न्यास ) के तत्वावधान में अष्टम अखिल भारतीय साहित्य महोत्सव -2021, साहित्यकार सम्मान एवं पुस्तक लोकार्पण समारोहआयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता श्री योगेंद्र नारायण,पूर्व रक्षा सचिव/भारत सरकार ने की। पूर्व आईएएस अधिकारी और ग़ज़लकार श्री विनोद प्रकाश गुप्ता […]
आ सखे
सांझ की बेला में निखरे रूप संध्या का सखे। आ मिलो अब विरह की धूप का पहरा सखे।। छोड़ सब बंधन जगत के नेह की लालिमा। जोड़ नाता प्रीत का कहता मन पगला सखे।। पँछी का कलरव अधूरा पीर ह्रदय में बसी। नैन तकते आस अंतिम न सहा जाता सखे।। बाँह पसारे खड़ी हूँ पुकार […]
हत्या या आत्महत्या क्यों ?
प्रतिदिन समाचार पत्र हों टी.वी. चैनल्स सभी पर ऐसी ख़बरे आम हो गई है । अवैध सम्बन्ध के चलते हत्या ,सामूहिक हत्या या आत्महत्या जैसी घटनायें क्षुब्ध करती हैं मन को । लेकिन कुछ अवैध सम्बन्ध वास्तव मॆं होते हैं तो कुछ शक्की मन की उपज मात्र होते हैं । जीवन साथी पति या पत्नी […]
वक़्त ये भी देखना बदल जायेगा
वक़्त ये भी देखना बदल जायेगा। आज दुख हैं तो कल सुख आएगा।। रात अमावस्या की टीम घनेरा है। चाँद पूर्णिमा का भी जगमगायेगा।। जी हाँ, बिल्कुल सही व सटीक पंक्तियां हैं ये क्योंकि वक्त या समय ही एक ऐसा हैं जो आज हैं वो कल नहीं रहेगा और जो कल होगा वो परसों नही […]
अहसास
“इतना क्यों सोचती हो रमा ? ऐसी हालत मॆं तुम्हें खुश रहना चाहिये और अच्छा -अच्छा सोचना चाहिये क्योंकि तुम्हारी हर बात का असर होने वाले बच्चे पर पड़ता है !” कहकर राकेश ने टी वी का चैनल बदल दिया और अपना पसंदीदा देखने लगा…राकेश को हमेशा से ही क्राइम चैनल देखना अच्छा लगता है […]
सविता वर्मा “गज़ल” के प्रथम कहानी संग्रह “एक थी महुआ” का लोकार्पण
आज दिनांक 3अक्तूबर 2021, रविवार को एस डी कालेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी के ऑडिटोरियम में मुजफ्फरनगर की लाड़ली रचनाकार सविता वर्मा “गज़ल” के प्रथम कहानी संग्रह “एक थी महुआ” का लोकार्पण जनपद के तथा जनपद के बाहर से पधारे मूर्धन्य साहित्यकारों की महती उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता रचनाधर्मी, समाजसेवी और […]
अटूट रिश्ता
लगता है आज कोमल कुछ उदास और उसके जबरदस्ती मुस्काराने के बाद भी उसके चेहरे की उदासी साफ दिखायी दे रही थी । इस बार पूरे छः महीने बाद हम दोनों सहेलियों का मिलना हुआ है ,यूँ तो अक्सर कोमल और मेरा एक-दूसरे के घर एक -दो महीने मॆं एक चक्कर ज़रूर लग ही जाता […]