उसने कहा…
कैद सिर्फ पिंजरा या
कारावास ही नहीं होते..
कभी कभी घर की चार दिवारी भी
पिंजरे और कारावास से
कही बढ़कर होती हैं।
पिंजरा तोड़कर उड़ जाते हैं पँछी
अक्सर ही।
सजा पूरी कर छूट जाते हैं
कैदी भी।
मगर कभी कभी अत्यंत घुटन व
दम तोड़ देने वाली होती हैं
ये घर की चार दीवारें
और कैदी से भी कहीं अधिक
सजा भुगतती हैं इनमे
बन्द रहने वाली औरतें।
— डॉ. सविता वर्मा ‘ग़ज़ल’