गीत/नवगीत

जरा हर्षाने दो

बैठो आ कर पास, नयन भर जाने दो।
रिमझिम स्नेह आपार,  बरस जाने दो।
मृगनयनी तेरे नयन कजरारे।
मचल मचल कर करें इशारे।
होंठो पर  मुस्कान  छुपी  है।
मात्थे पर लट आन झुकी है।
गाल  लालो  लाल,  जरा  हर्षाने  दो।
बैठो आकर पास, नयन भर जानें दो।
देख   देख  मन   है  ललचाए।
ठुमक ठुमक जब चलती जाए।
सो  सो  बल  खाए   कमरिया।
पग पग  सदके  करे  डगरिया।
दिल पर रख के हाथ, जी तरस जाने दो।
बैठो  आकर  पास,  नयन भर जाने दो।
मीठे  बोल में  मिशरी  घोले।
प्रेम  रसिये  के  मन में डोले।
यूँ    पानी  में  आग   लगाए।
भला मन यह कैसे बच पाए।
इश्क में हुआ बेहाल, कुछ कर जाने दो।
बैठो  आकर पास,  नयन भर जाने दो।
प्रेम  पगे जब  हैं  मिल जाते।
सुखे गुलशन भी खिल जाते।
तेरा  साथ  जिसे  मिल जाए।
और कहाँ  फिर  कैसे  जाए।
चाँद  सा  तेरा  दीदार, जी नज़र आने दो।
बैठो  आकर  पास, नयन  भर  जाने दो।
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995