तुम साथ थे जब
गम भी खुशियां दे जाते थे,
जब हम साथ तुम्हारा पाते थे।
प्रीत के बंधन में बंध कर ,
सपनों की दुनिया में खो जाते थे।
खुशियों की महफिल सजती थी,
दुख के आलम गुम जाते थे।
साथ तुम्हारा पाकर हम,
सारी दुनिया को भूल जाते थे।
सांसों में आज भी बसते हैं,
तुमसे हसीन मुलाकात के पल।
होठों पर आज भी सजते हैं,
तुमसे उस दीदार के पल।
एहसास की खुशबू बिखरती है,
दूर नहीं तुम ,कहती है।
तन्हाई आज भी महकती है,
यादों में साथ हो, कहती है।
— कल्पना सिंह