मुक्तक/दोहा

हमीद के दोहे

अवसर  खोता है  अगर , रहता है  नाकाम।
चाहे  जितना हो  प्रखर , पड़ा रहे  गुमनाम।
सत्य अहिंसा  पर टिके , उनके  सारे  काम।
सच्चा पक्का  आज भी , गाँधी  का पैगाम।
समय क़ीमती है बहुत, रखना उसका मान।
कार्य करो सब समय पर,पाना गर सम्मान।
आज   आमने   सामने ,  अमरीका   ईरान।
संकट में जिससे फँसी,हम सबकीभी जान।
हिंदी  हित  की  साधना , है कर्त्तव्य महान।
इसके जरिये बाँटिये, दुनिया भर को  ज्ञान।
जीवन को दो हर घड़ी, एक नया आगाज़।
जिससे कोई कर सके, नहीं नज़र अंदाज़।
हमीद कानपुरी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - [email protected] मो. 9795772415