हमीद के दोहे
अवसर खोता है अगर , रहता है नाकाम।
चाहे जितना हो प्रखर , पड़ा रहे गुमनाम।
सत्य अहिंसा पर टिके , उनके सारे काम।
सच्चा पक्का आज भी , गाँधी का पैगाम।
समय क़ीमती है बहुत, रखना उसका मान।
कार्य करो सब समय पर,पाना गर सम्मान।
आज आमने सामने , अमरीका ईरान।
संकट में जिससे फँसी,हम सबकीभी जान।
हिंदी हित की साधना , है कर्त्तव्य महान।
इसके जरिये बाँटिये, दुनिया भर को ज्ञान।
जीवन को दो हर घड़ी, एक नया आगाज़।
जिससे कोई कर सके, नहीं नज़र अंदाज़।
हमीद कानपुरी