यादों के झरोखे से-13
मेरा मन है
कि
मैं पतंग बन जाऊं
मकर संक्रान्ति और पतंगोत्सव की
पावन वेला पर
सूर्यदेवता की साक्षी में
पतंग की तरह
नील गगन की नीलिमा में लहराऊं
मैं पतंग बनूं
शांति की
सौहार्द की
सद्भाव की
इंसानियत की
प्रेम की
निर्मल आनंद की
परोपकार की
अतिथि के सत्कार की
खुशियों के संचार की
महिलाओं के सम्मान की
देश की ऊंची-उज्जवल शान की
महंगाई के उपचार की
भ्रष्टाचार के संहार की
भेदभाव के उन्मूलन की
सत्पथ के दिग्दर्शन की
और
सब तक यह संदेश पहुंचाऊं
कि
कैसे मानव जीवन की लाज बचेगी
कैसे इंसान की इंसनियत ज़िंदा रहेगी
मेरा मन है
कि
मैं पतंग बन जाऊं
मकर संक्रान्ति और पतंगोत्सव की
पावन वेला पर
सूर्यदेवता की साक्षी में
पतंग की तरह
नील गगन की नीलिमा में लहराऊं.
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पुनश्च-
सूर्य का एक नाम पतंग भी है. इसलिए मकर संक्रांति को पतंग उड़ाकर सूर्य की तरह आसमान की ऊंचाइयों को छूने की कोशिश की जाती है.
आप सबको मकर संक्रांति की कोटिशः बधाइयां और शुभकामनाएं-
मकर संक्रांति का त्योहार भारत ही नहीं बल्कि नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में भी सेलिब्रिट किया जाता है। इस त्योहार की खासियत ये है कि ये हमारे देश का इकलौता ऐसा त्योहार है जिसे वैसे तो देश के हर एक राज्य में धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन अलग-अलग नाम से। संक्रांति को पंजाब में लोहड़ी, असम में भोगली बिहू, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडू में पोंगल और गुजरात में उत्तरायन के नाम से जाना जाता है।