संभलना सिखा दिया
दुनिया की ठोकरों ने संभलना सिखा दिया,
झूठ और फरेब को समझना सिखा दिया।
बदल गया नजरिया लोगों को देखने का,
आंखों से पर्दा उठा और सच दिखा गया।
चेहरों के जंगल में खो गया था चेहरा मेरा,
खोई हुई पहचान ने मशहूर होना सिखा दिया।
गिर गिर कर उठने ने हौसला बढ़ा दिया,
मुश्किलों के दौर में ठहरना सिखा दिया।
जिंदगी के नित नए सबक ने अधूरा ही सही,
चुप रहकर लोगों को परखना सिखा दिया।
हार जीत के दौर ने लड़ना सिखा दिया,
दबी हुई चिंगारी को धधकना सिखा दिया।
दिल में नरमी और लहजे में खुद्दारी सिखा दिया,
चेहरों के जंगल में खुद का चेहरा दिखा दिया।