गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

कोयल का गीत एकांत में पुकारता है
शायद अपनों की मौजुदगी तलाशता है .
डाली अम्बुज पर काली बैठी झांकती है
दूर तक दृष्टि फैला हर क्षण आंकती है.
खालीपन ख़ामोशी में पेडो का दायरा सा
यही सब यादे अपनों की खोज ताकती है.

कही कोई गुजरी घटना दर्द की वजा है
लगता अकेलापन ही सजा का नापती है.
नज़ारे सभी ज़मीं को आनन्दमय बया में
तेरी आवाज़ का भी कोई वज़ा  कांपती है .
सलामत जब तलक ज़हाँ नेह “मैत्री “है,
गीतों में बसी सदा दूसरों के लिए झांकती है.

— रेखा मोहन २०/१/२०१०

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]