हास्य व्यंग्य

व्यंग- आम लोगों का गिरना

कुछ दिन पहले रात को बाइक से घर लौट रहा था, सड़क के गड्ढे में गिरकर सिर फूट गया।
अब घर पर लोगों का तांता लग गया, बहुत खुश हुआ मेरा साहित्य उछल-उछल कर तांडव करने लगा। शाम को कुछ समाचार पत्र वाले आ गए वे मुझसे हालचाल पूछा उसके बाद कागज निकालकर समाचार बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दिया। परसाई जी की याद आ गई, चलो कल सबको पता चल जाएगा कि एक लेखक उनके आसपास है। मन प्रफुल्लित था, मगर सुबह सभी अखबारों में आंखें गड़ाकर देखा कुछ भी नहीं निकला था। ओहो  मुक्त में चाय पीकर निकल लिये कम से कम चाय की चुस्की पर कुछ लिख दिये होते।
गरीब दरिद्र लेखकों का यही हाल है। सही उनके साथ ही होना भी आवश्यक है, कोई भी छूट भैया नेता चिल्लर दिखा दे फिर क्या उसकी तारीफ में तारीफ भर-भर कर साहित्य को बाहर फेंक आते, कवि सम्मेलन के दौरान मंच पर झूठी शान की बात कर आते। फिलहाल सिर पर 11 टांके ही चले हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है क्योंकि साहित्य को थामने वाले बहुत सारे लेखकों की लंबी कतार नरक लोक की तरह लगी हुई है।
मेरे दुर्घटना की सूचना सुनकर कई लोग बहुत खुश हुए। कल एक प्रशंसक नाराज होकर व्हाट्सएप पर मैसेज डालता है, भाई क्यों साहित्य प्रेमियों की हत्या करना चाहते हो। बहुत सारे लोग सोशल मीडिया पर कमेंट करते हैं, मोटी चमड़ी हो गई है अब इज्जत और अपमान मैं कोई फर्क नहीं रह गया है। आम आदमी का बाइक से गड्ढे में गिरकर हाथ पैर तोड़ ना या फिर जान जाना कोई बड़ी बात नहीं है, खैर यह जिंदगी जैसी भी हो साहित्य को सब कुछ समर्पित है।
एक नेता जी सीढ़ियों से फिसल कर क्या गिर गए सोशल मीडिया पर टॉप का ट्रेड करने लगा, वाह भाई वाह अखबार के बड़े-बड़े पन्नों पर चित्र सहित इजहार भी हो गया। पक्ष-विपक्ष में जुबानी मुठभेड़ भी हो गया। अपने लोगों का क्या आम जनता ठहरे, संजोग से क्षेत्र के जाने-माने युवा नेता बीमार हो गए, समर्थकों, दोस्तों और रिश्तेदारों का आना-जाना शुरू हो गया जो भी आता नेताजी जबरजस्ती फोटो खिंचवा कर उसके सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करवाते।
देखते देखते सोशल मीडिया पर निकल पड़े, उनके एक करीबी मित्र ने बताया नेता जी का बीमार होना उनके लिए नई संजीवनी मिल गया,
कल तक उनको चंद लोग जानते थे मगर आज कई विधानसभा के लोग जानते है। यह समझो वह फिर से कंप्यूटर की तरह अपडेट हो गए
अब उनका नेटवर्क और भी तेजी से चलेगा। युवा नेता जी अपने बीमार होने का जश्न मना रहे थे।
— अभिषेक राज शर्मा

अभिषेक राज शर्मा

कवि अभिषेक राज शर्मा जौनपुर (उप्र०) मो. 8115130965 ईमेल [email protected] [email protected]