गीतिका/ग़ज़ल

नए एहसास …

छाने लगा फिर है, ख्वाहिशों का मौसम
सरूर मुहब्बत का, सताने लगा है !
आलम क्या बताऊँ, दिल का मैं तुझको,
वक़्त-बेवक़्त तू याद आने लगा है !!

सपनों का आशियां, है फिर से सजाया
बेवक़्त बारिशों का, डर सताने लगा है!
ये सपने – ये रिश्ते, कहीं टूट न जाएँ
इस डर से ही दिल घबराने लगा है !!

मुझे देख कर, वो तेरा मुस्कुराना,
तेरे जाने के बाद, याद आने लगा है !
छुपे से हैं अहसास, कहीं खुल न जाएँ
“दिल” राज़ खुद के खुद से, छुपाने लगा है !!

दीवानगी में तेरी, हम हो गए हैं दीवाने,
मदहोश होकर दिल गुनगुनाने लगा है !
आलम क्या बताऊँ, दिल का मैं तुझको,
वक़्त-बेवक़्त तू याद आने लगा है !

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed