बाल कविता
मेरा सोना बच्चा सोएगा ।
मीठे सपनों में खोएगा ।
जहाँ लड्डू बर्फी भरे पड़े।
चॉकलेट के पेड़ हैं बड़े बड़े ।
जहाँ दूध की नदियाँ बहती हैं ,
और बहुत सी परियाँ रहतीं हैं ।
हैं बादल कॉटन कैंडी जैसे ,
इन्हें खाए बगैर रहूँ कैसे ।
गुड्डे ,गुड़िया और टेडी बियर ,
मुझको कहते सब अपना डिअर ।
मम्मा भी लाड लड़ाती है ।
डैडी की डाँट से बचाती है ।
सब अच्छा अच्छा चलता है ।
फिर मेरा सपना खुलता है ।
आँखें मलता जो खड़ा हुआ ।
देखा तो होमवर्क पड़ा हुआ ।
— अनुपमा दीक्षित भारद्वाज
अनुपमा जी, अनुपम बाल कविता के लिए बधाई