भारत की शक्ति का प्रतीक के-4 एसएलबीएम मिसाइल
एक दार्शनिक का कथन है कि ‘आपको शांति से जीना है तो स्वयं को ताकतवर बनकर ही रहना पड़ेगा। ‘ यह कथन सर्वकालीन तौर पर कटुसत्य और यथार्थवादी तथा सैद्धांतिक बात है, क्योंकि आपके पड़ोसी को यह ठीक से पता हो कि आप शक्तिशाली नहीं हैं, तो वह हमेशा आपको अनावश्यक रूप से परेशान करता रहेगा, यह बात हर घर, हर समाज, हर देश और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सदा से लागू होता रहा है। यह बात ऐतिहासिक तौर पर दुनिया के महानम् भारतीय सम्राट अशोक प्रियदर्शी को उदाहरण लेकर समझा जा सकता है, कि अशोक महान अपनी दयालुता, अपनी प्रजा के प्रति पुत्रवत प्यार व स्नेह, अपने परमार्थ के कार्यों मसलन सड़कों के किनारे छायादार व फलदार वृक्ष लगवाने, जगह-जगह प्याऊ बनवाने, धर्मशालाएं बनवाने, कुएंं व तालाब खुदवाने आदि-आदि अनेक परोपकारी कार्यों को करने की वजह से भले ही दुनिया में सभी सम्राटों में सबसे महान कहलाते हों, परन्तु कलिंग युद्ध में हुए, लाखों नर-नारियों के भीषण रक्तपात को अपने सामने होते देखकर, वे इस कदर अहिंसक और युद्ध के प्रति वे इतनी घृणा से भर उठे कि वे अपने राज्य की सीमाओं को सुरक्षित रखने वाली सेना को ही समाप्त कर दिया !
तत्कालीन समय में यह बात भारत के पड़ोसी देशों और दुनियाभर में यह बात फैल गई कि भारतीय सम्राट अहिंसक व बगैर सेना के हैं, इसका प्रतिफल यह हुआ कि दुनिया के बहुत से छोटे-छोटे व बिल्कुल शक्तिहीन व नगण्य देशों के कबीलों के सरदारों, लुटेरों, यहाँ तक कि गुलामों की जमातें भी हमारी भारत भूमि पर अपने कुछ हजार घुड़सवार सेनाओं से हमलाकर, पदाक्रांत करने की हिमाकत करने लगीं, जिसका परिणाम यह हुआ कि हमारा देश हजारों साल गुलामी की बेड़ियों में सिसकने और करोड़ों देशवासी दास और गुलामों से भी बदतर जीवन जीवन जीने को अभिशप्त हुए।
अंग्रेजों की बेड़ियों से 1947 में मुक्त होने के बाद भी, अभी हाल तक, हमारे देश की स्थिति बहुत नहीं सुधरी थी, कभी अमेरिकी, तो कभी चीनी, यहां तक कि पिद्दी पाकिस्तान भी भारत को आँख तरेर देता था, परन्तु पिछले कुछ वर्षों से डीआरडीओ व इसरो के स्वाभिमानी व देशभक्त उदीयमान वैज्ञानिकों के लगन, उच्च मेधा शक्ति व अनथक मेहनत रंग लाई, हमारा देश तेजी से अंतरिक्ष के क्षेत्र में तो अपना दबदबा दिखा ही रहा है, हथियारों के क्षेत्र में भी हमारे वैज्ञानिक, चाहे परमाणु बम हों, अन्तर्महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें हों, आदि सभी आधुनिकतम युद्धक हथियारों के क्षेत्रों में तेजी से सफलता प्राप्त करते जा रहे हैं।
इसी क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों की एक नई उपलब्धि और जुड़ गई है, अब 39फीट लम्बा, 17 हजार किलोग्राम वजनी, 4.3 फीट व्यास की 2000 किलोग्राम के वारहेड को 3500 किलोमीटर दूर तक अचूक मार करने वाली, समुद्र की अतल गहराइयों में छिपी किसी अज्ञात ंं भारतीय पनडुब्बी से, दुश्मन देश से हजारों किलोमीटर दूर से सटीक निशाना लगाकर उसके किसी भी नापाक मंसूबे को पलक झपकते ही उसके किसी भी परमाण्विक युद्धक संस्थान को जमींदोज कर सकने वाली, सबमैरीन लाँच्ड बैलिस्टिक मिसाइल बनाकर, भारत की तरफ किसी भी दुश्मन की तरफ से आँख तरेरने पर, उसको नेस्तनाबूद कर सकने की क्षमता हासिल कर लिया है।
इस क्षमता को हासिल करने से अब भारत न्यूक्लियर ट्रायड ताकत सम्पन्न देश {मतलब जल, थल और नभ से यानि त्रिआयामी परमाणु क्षमता से सम्पन्न देश } बन गया है। भारत थल से 5000 किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नि श्रृंखला की अंतर्महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों तथा आकाश से सुखोई-30 व मिराज-2000 विमानों के माध्मय से लम्बी दूरी की मिसाइलों को दागने में तो पूर्व में ही सक्षम था, अब समुद्री पनडुब्बियों से इस के-4सबमैरीन लाँच्ड बैलिस्टिक मिसाइल का निर्माण कर, अब भारत किसी भी देश की ब्लैक मेलिंग से दबने वाला कमजोर देश नहीं रहा।
देश की आन-बान और शान की प्रतीक इस बड़ी उपलब्धि दिलाने के लिए डीआरडीओ के देश के सपूत सभी वैज्ञानिकों को पूरे देश की एक अरब पैंतीस करोड़ जनता का विनम्र हार्दिक आभार।
— निर्मल कुमार शर्मा