चमगादड़ तो एक बहाना है ……
एक बहुत ही प्रचलित कहावत है कि- जो दूसरों के लिये गढ्ढा खोदता है तो खुद ही गढ्ढे में गिरता है! बिल्कुल वैसा ही चीन के साथ हुआ है चीन खुद अपने खोदे हुये गढ्ढे में गिरा गया है और दोषी बता रहा है सॉप और चमगादड़ को। सोंचने वाली बात यह है कि क्या पहले चीन के वुहान शहर में कभी चमगादड़ नही थे ? क्या पहले कोई चीनी सॉप को नही खाता था ? क्या यह सब चीन के लिये नया था! तो इसका जवाब है जी नही! वहाँ के लोग तो चिंटियाँ भी मार का खा जाते हैं। दुनिया के सबसे बड़े हबरभच्छियों की सेना देखा जाय तो चीन में ही है! जहाँ पर मेढ़क से लेकर कुत्ते तक सब हजम कर जाते हैं। वर्तमान समय में चीन जिस महामारी का शिकार हुआ है वह किसी पछी व सॉप के द्वारा नही हुआ है बल्कि चीन की सबसे बड़ी चूंक है जिसके कारण खुद तो तबाह है परन्तु उसके साथ साथ पूरा विश्व तबाह होने की कगार पर है।
चीन का वुहान शहर एक ऐसा शहर है जो समुद्री जीव जन्तुओं का मांस बिकने के लिये मशहूर है यही नही यहाँ पर जीवविज्ञान का सबसे बडा रिसर्च सेन्टर भी है जिसमें सबसे मुख्य है वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलाजी जिसमें चीन के द्वारा इस प्रयोगशाला में जैविक हथियार भी इजाद किये जाते हैं और उनका परीक्षण भी किया जाता है। चीन एक खुराफाती मानसिकता वाला देश है वह मानव जाति को तबाह करने के लिये कुछ न कुछ बनाया ही करता है चाहे व नकली चावल हो या फिर अण्डा और पत्ता गोभी ही क्यों न हो वह खुद इन चीजों का इस्तेमाल नही करता पर पड़ोसी देश की बजारों में बेचने की कोशिश जरूर करता है ताकि उसकी बनाई हुई नकली चीजें बाहर के लोग खायें और एक गंभीर बीमारी के शिकार हों।
कोरोनावायरस के बारे में पूरी दूनियाँ को बाद में पता चला इससे पहले चीन अपने आप में ही लीपापोती मचाने में मस्त था वह सोंचता था कि अभी विस्तार बहुत कम है धीरे धीरे हम ठीक कर लेंगे परन्तु नतीजा यह निकाला की जिस रोग की जितनी दवाई की गई वह रोग उतना ही बढ़ता गया 31 दिसम्बर 2019 को ही चीन के अन्दर कोरोना का पांव पसर चुका था 31 दिसम्बर को ही चीन एक गंभीर खतरे को जान गया था जिसको लेकर वुहान शहर की एक बडी मार्केट को 1 जनवरी 2020 को बन्द कर दी गयी यही नही उस शहर से न तो किसी को आने की इजाजत थी और न ही वहाँ से किसी को जाने की इजाजत थी। 7 जनवरी 2020 को चीन ने वायरस की पहचान की और उसे कोरोनावायरस का नाम दिया। 11 जनवरी 2020 को चीन ने इस से मरने वाले एक व्यक्ति की पुष्टी भी की। 11 जनवरी के बाद यह कोरोना इतना विकसित हो गया कि इससे पूरा वुहान शहर तबाह हो गया और एक महामारी का रूप लेकर चीन के गंगन पर मंडराने लगा जिसका परिणाम यह हुआ कि 29 जनवरी तक इस वायरस के कारण 132 लोगों की मौत हुई और 6 हजार से अधिक इसके मरीज पाये गये। इस वायरस की खबर पेट्रोल की आग तरह पूरे विश्व में फैल चुकी थी जहाँ एक ओर इससे चीन तबाह था वहीं दूसरी ओर पूरा विश्व दहशत में है। फिर शुरू हुआ अटकले लागने का सिलसिला।
क्या 31 दिसम्बर के पहले चीन में कहीं कोई चमगादड़ नहीं था ? क्या इससे पहले चीन के किसी भी सदस्य ने चमगादड़ या सॉप का सूप नही पिया था? चीन के लिये यह सब नया नही था यह तो उनके रोज के शौख थे! जो वहां के लोग शौख से पूरा करते थे! माना कि यह वायरस चमगादड़ से फैला तो जैसे कोरोना से ग्रसित व्यक्ति की छींक या उसके सामने बात चीत करने से वायरस दूसरे व्यक्ति के अन्दर प्रवेश कर जाते हैं और अपना असर दिखाने लगते हैं तो भाई इससे पहले भी चमगादड़ चीन के वायुमण्डल में मंडराते थे सांस लेते थे अपनी कार्बनडाई वायु मण्डल में छोड़ते थे यदि ऐसा होता तो जहाँ चमगादड़ अधिक पाये जाते थे और उसके आस पास के रिहायसी इलाकों में इस प्रकार की बीमारी कभी न कभी किसी न किसी में तो देखी गयी होती चमगादड़ द्वारा यह महामारी चीन के वुहान से ही क्यों फैली क्या चीन में और कोई शहर नही था। मै तो बस इतना ही जानता हूँ कि चीन के वुहान शहर में जैविक हथियार बनानें का एक विशाल प्रयोगशाला है और इसी प्रयोगशाला के किसी वैज्ञानिक को झपकी आ गयी होगी और कहीं चूंक हो गयी जिसका अंजाम चीन तो भुगत ही रहा है परन्तु खतरा पूरे विश्व पर बना है। सच्चाई तो कुछ और ही है चमगादड़ तो एक बहाना है
राज कुमार तिवारी (राज)