कविता

हम जग जाएँ

जागने  का वक्त  है   हम जग जाएँ, यूँ ही  अपनी  जिन्दगी  को  न  गंवाएं
आये हैं जिस काम को पहचान लें हम, आत्मखोज करके हम धन्य हो जाएँ
आत्मा हम हैं  मिलें  परमात्मा से, एकाग्रता से ध्यान में समय को लगाएं
हो  गए परपंच  हम  से  जो अभी  तक, अंधविश्वासों से अब हम दूर जाएँ
सत्य करुणा  प्रेम  का  हम लें सहारा, राग  द्वेष ईर्ष्या को मन में न लाएं
सब जगत अपना  है नहीं कोई पराया, सब के  प्रति प्रेम भाव मन में लाएं –
कभी भी किसी का हम बुरा न  सोचें , न ही किसी के प्रति हम क्रोध लाएं
यह तभी होगा कि जब हम जान लेंगे, एक  परमात्मा है हम  समझ जाएँ

— डा. केवल कृष्ण पाठक
सम्पादक रविंद्र ज्योति

डॉ. केवल कृष्ण पाठक

जन्म तिथि 12 जुलाई 1935 मातृभाषा - पंजाबी सम्पादक रवीन्द्र ज्योति मासिक 343/19, आनन्द निवास, गीता कालोनी, जीन्द (हरियाणा) 126102 मो. 09416389481