ग़ज़ल
अब नेक राजधर्म निभाने की’ बात कर
सब मुफलिसों को’ अन्न खिलाने की’ बात कर |
शोषित हुए शताब्दियों से लोग, अब तलक
अब उन गिरे हुए को उठाने की’ बात कर |
अब धूर्तता न कर तू’, न कर तू इधर उधर
उजड़े गरीब घर को’ बसाने की’ बात कर |
इस पाकि* ने किया है’ दखल देश का जो’ भाग
इस वक्त उसको’ उनसे’ छुड़ाने की” बात कर|
इज्जत गवाँ चुका अभी क्या और कुछ बचा ?
खुद को सुधार मान कमाने की’ बात कर |
जो आग जात पात लगाई समाज में
अब उस गुनाह आग बुझाने की’ बात कर |
ये जात पात ने किया बर्बाद देश को
इस वक्त जात पात हटाने की’ बात कर |
पाकि =पाकिस्तान
कालीपद ‘प्रसाद’