अनुराग का तराना
मिला कोय तो जीवन बदला,नेह-मेघ घिर आये हैं ।
फूलों में खुशबू फिर लौटी,नव संदेशे आये हैं ।।
मन गाता है परभाती अब,
भजन-आरती भाते हैं
संध्यावंदन से नाता अब,
पंछी ख़ूब सुहाते हैं
दिल है उपवन,महके हर पल,आकर्षण घिर आये हैं !
फूलों में खुशबू फिर लौटी,नव संदेशे आये हैं ।।
कोई भी अब ग़ैर नहीं है,
सभी लग रहे अपने हैं
इक क्षण में साकार हो गये,
आंखों में जो सपने हैं
हाथ मिल रहे हाथों से अब,कदम संग में आये हैं !
फूलों में खुशबू फिर लौटी,नव संदेशे आये हैं ।।
अवसादों का हुआ पराभव,
उल्लासों का मेला है
तनहाई सब दूर हो गई,
कोई नहीं अकेला है
आशाओं के सावन में अब,मेघ भावमय छाये हैं !
फूलों में खुशबू फिर लौटी,नव संदेशे आये हैं ।।
पतझड़ घबराता है हमसे,
पुष्प खिल रहे डाली पर
चम्पा खिलती,जूही हंसती,
अब तो रौनक माली पर
जीवन में हरियाली दिखती,नव वसंत मुस्काये हैं !
फूलों में खुशबू फिर लौटी,नव संदेशे आये हैं ।।
— प्रो. शरद नारायण खरे