गीत/नवगीत

गीत (मैं तो हूं केवल अक्षर)

मैं तो हूं केवल अक्षर
तुम चाहो शब्दकोश बना दो

लगता वीराना मुझको
अब तो ये सारा शहर
याद तू आये मुझको
हर दिन आठों पहर

जब चाहे छू ले साहिल
वो लहर सरफ़रोश बना दो

अगर दे साथ तू मेरा
गाऊं मैं गीत झूम के
बुझेगी प्यास तेरी भी
प्यासे लबों को चूम के

आयते पढ़ूं मैं इश्क़ की
इस कदर मदहोश बना दो

तेरा प्यार मेरे लिए
है ठंढ़ी छांव की तरह
पागल शहर में मुझको
लगे तू गांव की तरह

ख़ामोशी न समझे दुनिया
मुझे समुंदर का ख़रोश बना दो

:- आलोक कौशिक

आलोक कौशिक

नाम- आलोक कौशिक, शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य), पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन, साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में सैकड़ों रचनाएं प्रकाशित, पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101, अणुडाक- [email protected]