इस प्रेम दिवस पर कर सको तो
धरती माँ से कर लो प्रेम
भारत माँ से कर लो प्रेम।
प्रेम नहीं कोई साधारण वस्तु
बहुत गहरा भाव है
देख सको तो देख लो
हर प्राणी में उदगार है।
इस प्रेम दिवस पर कर सको तो
मात-पिता से कर लो प्रेम
गुरूओं से तुम कर लो प्रेम।
बाँटने से बड़ता है प्रेम
प्रेम ही है सच्चा पाठ
प्रेम से दुनिया चलती
हर जीव को इसकी प्यास।
इस प्रेम दिवस पर कर सको तो
भूखे-नंगों से कर लो प्रेम
दीन-हीन से कर लो प्रेम।
प्रेम नहीं पाने की वस्तु
प्रेम तो बलिदान है
नहीं बिकता बाजारों में
यह तन-मन और प्राण है।
इस प्रेम दिवस पर कर सको तो
अबोध से तुम कर लो प्रेम
परिजन से तुम कर लो प्रेम।
प्रेम के ढाई अक्षर से
नहीं बड़ा कुछ पाठ है
प्रेम का सागर प्रेम की नदिया
प्रेम श्वास विश्वास है।
— निशा नंदिनी भारतीय