“तुमको सोचू”
तुमको सोचू तो
जैसे प्यासे को पानी
कृष्ण की मीरा दीवानी
जेठ की दुपहरी में पीपल की छाव
हरी भरी लहलहाती फसल
खेलता कूदता बचपन का गांव
तुमको सोचू तो
जैसे राही की मंजिल
खूबसूरती बढ़ाने वाला तिल
दौड़ती भागती जिंदगी का ठहराव
अल्हड़ मदमस्त जवानी
जीवन हंसते खेलते जीने का चाव