मुक्तक/दोहा

प्रेम पगे प्रश्न

नैन  कटारी  मार  मुझे  घायल  कर जाती हो बोलो।
रातों  में    सपनों में आकर चैन चुराती हो बोलो।
तेरी  यादों    की    झंकारों में धड़कन भी गैर हुई-
पल पल पल तड़पाकर मुझको क्या तुम पाती हो बोलो?
नैनों को हथियार बनाना तूने मुझे सिखाया है।
चैन चुराना सिखलाकर तूने ही चोर बनाया है।
धड़कन से मिल धड़कन तेरी-मेरी धड़कन रही कहाँ-
पाने – खोने की यह गणना किसने तुझे पढ़ाया है?
प्रेम एक पूजा है जिसमें पहले खोकर पाना है।
दिल वालों की दरिया में बस दिल का आना-जाना है।
एक – एक मिलकर भी केवल एक यहाँ पर कहलाते-
तुमको मैं बनकर मुझको तुम बन करके दिखलाना है।।

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन