“रौशनी की तलाश जारी है”
कितनी बार डगमगाई कश्ती ,
कितनी बार संभाला है तूने
भंवर में जब भी फंसी नाव मेरी
हर बार आकर निकाला है तूने
तुझसे मिलने कोई जुगत लगाऊं कैसे
तुझको जानू और तुझको पाऊं कैसे
तेरे बारे में मेरा कयास जारी है
तू अगर है रौशनी की मानिंद
तो, रौशनी की तलाश जारी है.